नए रूप रंग के साथ अपने प्रिय ब्‍लॉग पर आप सबका हार्दिक स्‍वागत है !

ताज़ा प्रविष्ठियां

संकल्प एवं स्वागत्

ज्योतिष निकेतन संदेश ब्लॉग जीवन को सार्थक बनाने हेतु आपके लिए समर्पित हैं। आप इसके पाठक हैं, इसके लिए हम आपके आभारी रहेंगे। हमें विश्‍वास है कि आप सब ज्योतिष, हस्तरेखा, अंक ज्योतिष, वास्तु, अध्यात्म सन्देश, योग, तंत्र, राशिफल, स्वास्थ चर्चा, भाषा ज्ञान, पूजा, व्रत-पर्व विवेचन, बोधकथा, मनन सूत्र, वेद गंगाजल, अनुभूत ज्ञान सूत्र, कार्टून और बहुत कुछ सार्थक ज्ञान को पाने के लिए इस ब्‍लॉग पर आते हैं। ज्ञान ही सच्चा मित्र है और कठिन परिस्थितियों में से बाहर निकाल लेने में समर्थ है। अत: निरन्‍तर ब्‍लॉग पर आईए और अपनी टिप्‍पणी दीजिए। आपकी टिप्‍पणी ही हमारे परिश्रम का प्रतिफल है।

मंगलवार, मई 17, 2011

द्विपुष्‍कर एवं त्रिपुष्‍कर योग



    
   
    द्विपुष्कर योग में ​किये गये शुभ कार्यों का दुगुना फल प्राप्त होता है। त्रिपुष्‍कर योग में ​किये गये शुभ कार्यों का ​तिगुना फल प्राप्त होता है। जिन नक्षत्रों के तीन चरण एक राशि में पडे़ वे त्रिपुष्कर नक्षत्र कहलाते है और जिन नक्षत्रों के दो चरण एक राशि में पडे़ वे द्विपुष्कर नक्षत्र कहलाते है। इसी आधार पर विशेष तिथि व वार के दिन ये नक्षत्र होने पर द्विपुष्कर या त्रिपुष्कर योग बनते है। विशेष तिथि वार एवं नक्षत्र के संयोग से द्विपुष्कर एवं त्रिपुष्कर योगों की उत्पत्ति होती है।
    द्विपुष्कर-द्वितीया तिथि, सप्तमी तिथि, द्वादशी तिथि में रविवार का दिन, मंगलवार का दिन, शनिवार का दिन हों और मृ्गशिरा नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, धनिष्ठा नक्षत्र पडे़ तो द्विपुष्कर योग बनता है।
    वार        तिथि    नक्षत्र
    रविवार        12    मृगशिरा
    मंगलवार        7    चित्रा
    शनिवार        2    धनिष्ठा
    त्रिपुष्कर योग-द्वितीया तिथि, सप्तमी तिथि, द्वादशी तिथि में रविवार का दिन, मंगलवार का दिन, शनिवार का दिन हों और विशाखा नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, कृ्त्तिका नक्षत्र, उत्तराषाढा़ नक्षत्र भी हो तो त्रिपुष्कर योग बनता है।
    वार        तिथि    नक्षत्र
    रविवार        12    पू.भाद्र, पुनर्वसु, कृतिका, उ.षाढ़ा
    मंगलवार        7    उ.फाल्गुनी
    शनिवार        2    विशाखा
    भद्रा तिथि व रविवार, मंगलवार, शनिवार को त्रिपुष्कर नक्षत्र होने पर त्रिपुष्कर योग व द्विपुष्कर नक्षत्र पड़ने पर द्विपुष्कर योग होते है। इन योगों में भी हानि या लाभ या मृ्त्यु दोगुनी व तिगुनी होती है। इन योगों का फल मृ्त्यु, हानि, विनाश, एवं लाभ के लिए ही देखा जाता है। किसी के जन्म के समय इन योगों का फल नही देखा जाता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्‍पणी देकर अपने विचारों को अभिव्‍यक्‍त करें।

पत्राचार पाठ्यक्रम

ज्योतिष का पत्राचार पाठ्यक्रम

भारतीय ज्योतिष के एक वर्षीय पत्राचार पाठ्यक्रम में प्रवेश लेकर ज्योतिष सीखिए। आवेदन-पत्र एवं विस्तृत विवरणिका के लिए रु.50/- का मनीऑर्डर अपने पूर्ण नाम व पते के साथ भेजकर मंगा सकते हैं। सम्पर्कः डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर' ज्योतिष निकेतन 1065/2, शास्त्री नगर, मेरठ-250 005
मोबाईल-09719103988, 01212765639, 01214050465 E-mail-jyotishniketan@gmail.com

पुराने अंक

ज्योतिष निकेतन सन्देश
(गूढ़ विद्याओं का गूढ़ार्थ बताने वाला हिन्दी मासिक)
स्टॉक में रहने तक मासिक पत्रिका के 15 वर्ष के पुराने अंक 3600 पृष्ठ, सजिल्द, गूढ़ ज्ञान से परिपूर्ण और संग्रहणीय हैं। 15 पुस्तकें पत्र लिखकर मंगा सकते हैं। आप रू.3900/-( डॉकखर्च सहित ) का ड्राफ्‌ट या मनीऑर्डर डॉ.उमेश पुरी के नाम से बनवाकर ज्‍योतिष निकेतन, 1065, सेक्‍टर 2, शास्‍त्री नगर, मेरठ-250005 के पते पर भेजें अथवा उपर्युक्त राशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट नं. 32227703588 डॉ. उमेश पुरी के नाम में जमा करा सकते हैं। पुस्तकें रजिस्टर्ड पार्सल से भेज दी जाएंगी। किसी अन्य जानकारी के लिए नीचे लिखे फोन नं. पर संपर्क करें।
ज्‍योतिष निकेतन, मेरठ
0121-2765639, 4050465 मोबाईल: 09719103988

विज्ञापन