द्विपुष्कर योग में किये गये शुभ कार्यों का दुगुना फल प्राप्त होता है। त्रिपुष्कर योग में किये गये शुभ कार्यों का तिगुना फल प्राप्त होता है। जिन नक्षत्रों के तीन चरण एक राशि में पडे़ वे त्रिपुष्कर नक्षत्र कहलाते है और जिन नक्षत्रों के दो चरण एक राशि में पडे़ वे द्विपुष्कर नक्षत्र कहलाते है। इसी आधार पर विशेष तिथि व वार के दिन ये नक्षत्र होने पर द्विपुष्कर या त्रिपुष्कर योग बनते है। विशेष तिथि वार एवं नक्षत्र के संयोग से द्विपुष्कर एवं त्रिपुष्कर योगों की उत्पत्ति होती है।
द्विपुष्कर-द्वितीया तिथि, सप्तमी तिथि, द्वादशी तिथि में रविवार का दिन, मंगलवार का दिन, शनिवार का दिन हों और मृ्गशिरा नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, धनिष्ठा नक्षत्र पडे़ तो द्विपुष्कर योग बनता है।
वार तिथि नक्षत्र
रविवार 12 मृगशिरा
मंगलवार 7 चित्रा
शनिवार 2 धनिष्ठा
त्रिपुष्कर योग-द्वितीया तिथि, सप्तमी तिथि, द्वादशी तिथि में रविवार का दिन, मंगलवार का दिन, शनिवार का दिन हों और विशाखा नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, कृ्त्तिका नक्षत्र, उत्तराषाढा़ नक्षत्र भी हो तो त्रिपुष्कर योग बनता है।
वार तिथि नक्षत्र
रविवार 12 पू.भाद्र, पुनर्वसु, कृतिका, उ.षाढ़ा
मंगलवार 7 उ.फाल्गुनी
शनिवार 2 विशाखा
भद्रा तिथि व रविवार, मंगलवार, शनिवार को त्रिपुष्कर नक्षत्र होने पर त्रिपुष्कर योग व द्विपुष्कर नक्षत्र पड़ने पर द्विपुष्कर योग होते है। इन योगों में भी हानि या लाभ या मृ्त्यु दोगुनी व तिगुनी होती है। इन योगों का फल मृ्त्यु, हानि, विनाश, एवं लाभ के लिए ही देखा जाता है। किसी के जन्म के समय इन योगों का फल नही देखा जाता है।
द्विपुष्कर-द्वितीया तिथि, सप्तमी तिथि, द्वादशी तिथि में रविवार का दिन, मंगलवार का दिन, शनिवार का दिन हों और मृ्गशिरा नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, धनिष्ठा नक्षत्र पडे़ तो द्विपुष्कर योग बनता है।
वार तिथि नक्षत्र
रविवार 12 मृगशिरा
मंगलवार 7 चित्रा
शनिवार 2 धनिष्ठा
त्रिपुष्कर योग-द्वितीया तिथि, सप्तमी तिथि, द्वादशी तिथि में रविवार का दिन, मंगलवार का दिन, शनिवार का दिन हों और विशाखा नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, कृ्त्तिका नक्षत्र, उत्तराषाढा़ नक्षत्र भी हो तो त्रिपुष्कर योग बनता है।
वार तिथि नक्षत्र
रविवार 12 पू.भाद्र, पुनर्वसु, कृतिका, उ.षाढ़ा
मंगलवार 7 उ.फाल्गुनी
शनिवार 2 विशाखा
भद्रा तिथि व रविवार, मंगलवार, शनिवार को त्रिपुष्कर नक्षत्र होने पर त्रिपुष्कर योग व द्विपुष्कर नक्षत्र पड़ने पर द्विपुष्कर योग होते है। इन योगों में भी हानि या लाभ या मृ्त्यु दोगुनी व तिगुनी होती है। इन योगों का फल मृ्त्यु, हानि, विनाश, एवं लाभ के लिए ही देखा जाता है। किसी के जन्म के समय इन योगों का फल नही देखा जाता है।
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