बहाने बहुत हैं बनाने के लिए। बहुतों का कार्य बहानों से ही चलता है। क्या आप भी बहाने बनाते हैं? यह जान लें बहाने सफल नहीं होने देते हैं। यह भी कोई बहाने हैं-
- अभी मेरा मन नहीं लग रहा है!
- मेरा मूड नहीं है!
- जब तक मैं मूड में नहीं होता कुछ नहीं कर सकता!
- यह काम करने योग्य नहीं है!
- यह तो मैं कर ही नहीं सकता!
- यह तो छोटा काम है, मैं तो बड़े काम करता हूं!
- आज तो शरीर ढीला है, कल कर लूंगा!
- जब अच्छा काम मिलेगा तभी करूंगा!
- आज मेरा पढ़ने का मन नहीं है!
- आज थका हुआ हूं, आराम कर लेता हूं, काम तो कल कर लूंगा!
कल कभी नहीं आती है। कवि कबीरदास जी ने ठीक कहा है- काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलय होएगी, बहुरि करोगे कब।
बहाने बनाने से सफलता हाथ नहीं आती है। आप किसी भी प्रकार का कार्य करते हों, यदि आप बहाने बनाऐंगे या मूड की प्रतीक्षा करेंगे तो सफलता का हाथ से निकल जाना निश्चित है। यही टालमटोल की आदत से होता है, हाथ आया अवसर गवां बैठते हैं।
संसार में जितने भी सफल लोग हुए हैं, उनकी उपलब्धियों को देखकर अचंभा होता है। लेकिन यदि आप इनकी दिनचर्या पर दृष्टि डालेंगे तो आप पाएंगे कि चाहे कुछ भी हो, तूफान आए, बारिश हो, कड़ाके की धूप हो, तबियत ठीक न हो, पर ये बिना बहाना या मूड की प्रतीक्षा किए काम में जुटे होंगे।
सही रीति तो यही है कि बहाने की खोज किए बिना कमर कसकर काम में जुट जाइए। आपको सिर्फ यह ज्ञात होना चाहिए कि काम, काम और काम। निरन्तर कर्म कीजिए। बुद्धिमान या सफल व्यक्ति के समक्ष एक ही विराम होता है और वो है-चिरविराम!
अच्छे कार्य या मूड की प्रतीक्षा में बैठे रहना मूर्खता से बढ़कर कुछ नहीं है।
पास आने वाले छोटे-छोटे कार्यों को हाथ में लेकर करने लग जाइए, इसके पीछे-पीछे बड़े काम स्वत: आ लेगेंगे।
बहाने नहीं सिर्फ काम में संलग्न रहिए, सफलता तो आपके पीछे-पीछे आ लगेगी।
- अभी मेरा मन नहीं लग रहा है!
- मेरा मूड नहीं है!
- जब तक मैं मूड में नहीं होता कुछ नहीं कर सकता!
- यह काम करने योग्य नहीं है!
- यह तो मैं कर ही नहीं सकता!
- यह तो छोटा काम है, मैं तो बड़े काम करता हूं!
- आज तो शरीर ढीला है, कल कर लूंगा!
- जब अच्छा काम मिलेगा तभी करूंगा!
- आज मेरा पढ़ने का मन नहीं है!
- आज थका हुआ हूं, आराम कर लेता हूं, काम तो कल कर लूंगा!
कल कभी नहीं आती है। कवि कबीरदास जी ने ठीक कहा है- काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलय होएगी, बहुरि करोगे कब।
बहाने बनाने से सफलता हाथ नहीं आती है। आप किसी भी प्रकार का कार्य करते हों, यदि आप बहाने बनाऐंगे या मूड की प्रतीक्षा करेंगे तो सफलता का हाथ से निकल जाना निश्चित है। यही टालमटोल की आदत से होता है, हाथ आया अवसर गवां बैठते हैं।
संसार में जितने भी सफल लोग हुए हैं, उनकी उपलब्धियों को देखकर अचंभा होता है। लेकिन यदि आप इनकी दिनचर्या पर दृष्टि डालेंगे तो आप पाएंगे कि चाहे कुछ भी हो, तूफान आए, बारिश हो, कड़ाके की धूप हो, तबियत ठीक न हो, पर ये बिना बहाना या मूड की प्रतीक्षा किए काम में जुटे होंगे।
सही रीति तो यही है कि बहाने की खोज किए बिना कमर कसकर काम में जुट जाइए। आपको सिर्फ यह ज्ञात होना चाहिए कि काम, काम और काम। निरन्तर कर्म कीजिए। बुद्धिमान या सफल व्यक्ति के समक्ष एक ही विराम होता है और वो है-चिरविराम!
अच्छे कार्य या मूड की प्रतीक्षा में बैठे रहना मूर्खता से बढ़कर कुछ नहीं है।
पास आने वाले छोटे-छोटे कार्यों को हाथ में लेकर करने लग जाइए, इसके पीछे-पीछे बड़े काम स्वत: आ लेगेंगे।
बहाने नहीं सिर्फ काम में संलग्न रहिए, सफलता तो आपके पीछे-पीछे आ लगेगी।
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