कार्य का श्रीगणेश ठीक तो सबकुछ ठीक। यह सच है कि कार्य का श्रीगणेश अच्छा हो जाए तो आधा कार्य हो गया समझो। यह जान लीजिए कि कार्य का गलत शुभारम्भ सबकुछ गड़बड़ कर देता है। आपने कई बार अनुभव किया होगा कि एक बार किसी गणना को गलत कर देते हैं तो वो बार-बार गणना करने पर भी गलत ही आता है। बार-बार के गलत प्रयास से आप सही गणना से दूर होते जाते हैं। आप एक बार कहीं जाने के लिए गलत सड़क पर चल पड़ें तो आप का प्रत्येक कदम आपको आपकी मंजिल से दूर करता चला जाएगा। आप अपने दिन का शुभारम्भ चिड़चिड़ाहट के साथ करेंगे तो निश्चित रूप से आपका दिन रोते-पीटते और झींकते ही बीतेगा। इसलिए कोई भी कार्य कीजिए उसका श्रीगणेश ठीक होना चाहिए।
प्राय: हम गलती को छिपाने के लिए एक झूठ बोलते हैं और फिर हमें जल्दी ही परस्प्ार विरोधी असंख्य स्पष्टीकरण में उलझना पड़ता है। एक बार गलत शुभारम्भ से बचिए फिर आपको भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। प्रारम्भिक गलती से बचिए फिर आप सदैव ठीक चलते चले जाएंगे।
व्यवस्थित ढंग से कार्य करना अधिक सरल है। कार्य को तुरन्त यानि हाथोंहाथ निपटाइए और यदि आपने ऐसा किया तो आप कभी भी अस्त-व्यस्त जीवन नहीं जीएंगे। किसी वस्तु या सामान को प्रयोग करने के बाद उसके नियत स्थान पर रखने में कम समय लगता है अपेक्षाकृत इधर-उधर रखकर पुन: ढूंढने में।
प्रत्येक दिन की सुख व सफलता इस पर निर्भर है कि आप दिन का शुभारम्भ या श्रीगणेश किस प्रकार करते हैं। दिन का शुभारम्भ तभी अच्छा होता है जब आप रात्रि में शान्त मन से गहरी नींद संग सोते हैं, इस निश्चय के साथ्ा कि आप नई आशा के संग जागेंगे।
प्राय: जब अलार्म बजता है तो खीज होती और आप दुविधा में होते हैं कि अभी उठूं या नहीं, मानों अलार्म ने नींद खराब कर दी और आप अलार्म बन्द करके पुन: सो जाते हैं। सही मायने में अलार्म बजते तो तुरन्त फुर्ती से उठिए और उठने से पूर्व ईश्वर का स्मरण करके स्वयं को इस वाक्य से प्रेरित कीजिए-आज का दिन मेरे लिए सौभाग्यशाली है। मैं अपना दैनिक लक्ष्य सहज में पाउंगा और दिन भर प्रसन्नता से रहूंगा और दूजों को भी प्रसन्न रखूंगा। मैं प्रत्येक अवसर से भरपूर लाभ उठाऊंगा और मेरे इस सम्पूर्ण प्रयास में ईश्वर भी मेरी सहायता करेगा। इसके बाद उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर सूक्ष्म व्यायाम कीजिए और स्नान करके पूजा-अर्चना के उपरान्त नाश्ता कीजिए और दैनिक लक्ष्य को पाने के लिए समय-सारिणी के अनुरूप सक्रिय हो जाइए। फिर आपके दिन का शुभारम्भ ठीक होगा और दैनिक लक्ष्य प्रसन्नता सहित आपकी मुट्ठी में होगा।
प्राय: हम गलती को छिपाने के लिए एक झूठ बोलते हैं और फिर हमें जल्दी ही परस्प्ार विरोधी असंख्य स्पष्टीकरण में उलझना पड़ता है। एक बार गलत शुभारम्भ से बचिए फिर आपको भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। प्रारम्भिक गलती से बचिए फिर आप सदैव ठीक चलते चले जाएंगे।
व्यवस्थित ढंग से कार्य करना अधिक सरल है। कार्य को तुरन्त यानि हाथोंहाथ निपटाइए और यदि आपने ऐसा किया तो आप कभी भी अस्त-व्यस्त जीवन नहीं जीएंगे। किसी वस्तु या सामान को प्रयोग करने के बाद उसके नियत स्थान पर रखने में कम समय लगता है अपेक्षाकृत इधर-उधर रखकर पुन: ढूंढने में।
प्रत्येक दिन की सुख व सफलता इस पर निर्भर है कि आप दिन का शुभारम्भ या श्रीगणेश किस प्रकार करते हैं। दिन का शुभारम्भ तभी अच्छा होता है जब आप रात्रि में शान्त मन से गहरी नींद संग सोते हैं, इस निश्चय के साथ्ा कि आप नई आशा के संग जागेंगे।
प्राय: जब अलार्म बजता है तो खीज होती और आप दुविधा में होते हैं कि अभी उठूं या नहीं, मानों अलार्म ने नींद खराब कर दी और आप अलार्म बन्द करके पुन: सो जाते हैं। सही मायने में अलार्म बजते तो तुरन्त फुर्ती से उठिए और उठने से पूर्व ईश्वर का स्मरण करके स्वयं को इस वाक्य से प्रेरित कीजिए-आज का दिन मेरे लिए सौभाग्यशाली है। मैं अपना दैनिक लक्ष्य सहज में पाउंगा और दिन भर प्रसन्नता से रहूंगा और दूजों को भी प्रसन्न रखूंगा। मैं प्रत्येक अवसर से भरपूर लाभ उठाऊंगा और मेरे इस सम्पूर्ण प्रयास में ईश्वर भी मेरी सहायता करेगा। इसके बाद उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर सूक्ष्म व्यायाम कीजिए और स्नान करके पूजा-अर्चना के उपरान्त नाश्ता कीजिए और दैनिक लक्ष्य को पाने के लिए समय-सारिणी के अनुरूप सक्रिय हो जाइए। फिर आपके दिन का शुभारम्भ ठीक होगा और दैनिक लक्ष्य प्रसन्नता सहित आपकी मुट्ठी में होगा।
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