महान वैज्ञानिक एडीसन का कथन है-समय संसार की सबसे अधिक मूल्यवान वस्तु है। यदि समय मूल्यवान है तो हम जितना धन खर्च करने में सावधानी रखते हैं उससे कहीं अधिक समय व्यतीत करने में भी करनी चाहिए।
जब से समय को नापा जाने लगा है तब से हमारे पास भी यह शिकायत करने को है कि मेरे पास समय ही नहीं है या अब तो चौबीस घंटे भी कम पड़ने लगे हैं। समय किसी को नहीं मिलता है, समय तो निकालना पड़ता है।
कोई भी जीवन में सफल होना चाहता है तो उसे समय का प्रबन्धन करना आना चाहिए। सर्वाधिक सफल लोग जीवन में समय का अपव्यय नहीं होने देना चाहते हैं।
लोग धन का बजट बनाकर खर्च करते हैं जिससे आय में ही व्यय हो सके या यूं कह लीजिए धन का प्रबन्धन कर आय बढ़ाते हैं या बचत करने का सूत्र पा जाते हैं।
इसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति को समय का बजट बनाना चाहिए जिससे उसका अपव्यय रुक सके और उसका प्रबन्धन हो और सफल होने के लिए अधिक समय मिले। समय के बजट से सर्वाधिक समय निरर्थक होने की अपेक्षा सार्थक हो सकेगा।
एक दिन पूर्व अर्थात् कल की समय सारिणी आज बनाइए और फिर रात्रि में अगले दिन की पुन: समय-सारिणी बनाईए और पूर्व दिन या बीते हुई समय-सारिणी पर टिप्पणी लिखकर देखें कि क्या हो गया और क्या होना है और फिर अगली समय-सारिणी में उसे शामिल कीजिए जो नहीं हो सका है। इस टिप्पणी में यह भी विचार कर लिख सकते हैं कि कितना समय कहां व्यर्थ किया या उसका अपव्यय किया और अगली समय-सारिणी में उसके प्रबन्धन के लिए स्वयं पर लगाम लगाते हुए यह निश्चय कीजिए कि किस प्रकार समय के अपव्यय से बचेंगे। इस प्रक्रिया को जारी रखेंगे तो धीरे-धीरे समय का प्रबन्ध होने लगेगा और इस प्रयास में समय का अपव्यय भी बचेगा और सार्थक समय में वृद्धि होगी।
काम का पहली बार में ही पूरा करें, यह हो सकता है जब आप योजना बनाकर कार्य करते हैं। योजनाबद्ध ढंग से कार्य करने पर उसे बार-बार करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इससे समय की बचत होती है और अमूल्य समय की सार्थकता बढ़ाने का अवसर मिलता है।
यदि आपके पास बचाए गए समय में कार्य करने को नहीं है तो कोई ऐसी रुचि को ग्रहण कर लें जिसमें आप ज्ञानवर्धन कर सकें। यह हो सकता है कि यह ज्ञान प्रारम्भ में आपको उपयोगी न लगे। लेकिन यह जान लें कि ज्ञान और अनुभवों का संग्रह करना बिल्कुल वैसा है जैसे बैंक में धन जमा करना। जीवन ऐसा अवसर अवश्य देता है जब आप इस ज्ञान को व्यवहार में लाकर ब्याज सहित सब कुछ वसूल कर लेंगे और ज्ञानार्जन में लगाया समय व्यर्थ नहीं जाएगा। कहने का तात्पर्य यह है कि समय की बचत से उसका उपयोग कहीं भी करके उसे सार्थक बना सकते हैं। समय की सार्थकता समझेंगे तो समय आपको सबकुछ देगा बस बात इतनी है कि आप समय की बचत के साथ-साथ उसका प्रबन्धन किस प्रकार करते हैं। समय की बचत और उसका प्रबन्धन वरदान में सफलता देती है। अत: सफलता हेतु समय का प्रबन्धन सीखना ही होगा!
जब से समय को नापा जाने लगा है तब से हमारे पास भी यह शिकायत करने को है कि मेरे पास समय ही नहीं है या अब तो चौबीस घंटे भी कम पड़ने लगे हैं। समय किसी को नहीं मिलता है, समय तो निकालना पड़ता है।
कोई भी जीवन में सफल होना चाहता है तो उसे समय का प्रबन्धन करना आना चाहिए। सर्वाधिक सफल लोग जीवन में समय का अपव्यय नहीं होने देना चाहते हैं।
लोग धन का बजट बनाकर खर्च करते हैं जिससे आय में ही व्यय हो सके या यूं कह लीजिए धन का प्रबन्धन कर आय बढ़ाते हैं या बचत करने का सूत्र पा जाते हैं।
इसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति को समय का बजट बनाना चाहिए जिससे उसका अपव्यय रुक सके और उसका प्रबन्धन हो और सफल होने के लिए अधिक समय मिले। समय के बजट से सर्वाधिक समय निरर्थक होने की अपेक्षा सार्थक हो सकेगा।
एक दिन पूर्व अर्थात् कल की समय सारिणी आज बनाइए और फिर रात्रि में अगले दिन की पुन: समय-सारिणी बनाईए और पूर्व दिन या बीते हुई समय-सारिणी पर टिप्पणी लिखकर देखें कि क्या हो गया और क्या होना है और फिर अगली समय-सारिणी में उसे शामिल कीजिए जो नहीं हो सका है। इस टिप्पणी में यह भी विचार कर लिख सकते हैं कि कितना समय कहां व्यर्थ किया या उसका अपव्यय किया और अगली समय-सारिणी में उसके प्रबन्धन के लिए स्वयं पर लगाम लगाते हुए यह निश्चय कीजिए कि किस प्रकार समय के अपव्यय से बचेंगे। इस प्रक्रिया को जारी रखेंगे तो धीरे-धीरे समय का प्रबन्ध होने लगेगा और इस प्रयास में समय का अपव्यय भी बचेगा और सार्थक समय में वृद्धि होगी।
काम का पहली बार में ही पूरा करें, यह हो सकता है जब आप योजना बनाकर कार्य करते हैं। योजनाबद्ध ढंग से कार्य करने पर उसे बार-बार करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इससे समय की बचत होती है और अमूल्य समय की सार्थकता बढ़ाने का अवसर मिलता है।
यदि आपके पास बचाए गए समय में कार्य करने को नहीं है तो कोई ऐसी रुचि को ग्रहण कर लें जिसमें आप ज्ञानवर्धन कर सकें। यह हो सकता है कि यह ज्ञान प्रारम्भ में आपको उपयोगी न लगे। लेकिन यह जान लें कि ज्ञान और अनुभवों का संग्रह करना बिल्कुल वैसा है जैसे बैंक में धन जमा करना। जीवन ऐसा अवसर अवश्य देता है जब आप इस ज्ञान को व्यवहार में लाकर ब्याज सहित सब कुछ वसूल कर लेंगे और ज्ञानार्जन में लगाया समय व्यर्थ नहीं जाएगा। कहने का तात्पर्य यह है कि समय की बचत से उसका उपयोग कहीं भी करके उसे सार्थक बना सकते हैं। समय की सार्थकता समझेंगे तो समय आपको सबकुछ देगा बस बात इतनी है कि आप समय की बचत के साथ-साथ उसका प्रबन्धन किस प्रकार करते हैं। समय की बचत और उसका प्रबन्धन वरदान में सफलता देती है। अत: सफलता हेतु समय का प्रबन्धन सीखना ही होगा!
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