किसी भी कार्य की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हमने कार्य की पूर्णता हेतु योजना कितनी अच्छी तरह बनाई है। यह सर्वविदित है कि कार्य की योजना की रूपरेखा कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व ही बना लें तो उसे पूर्ण करने में आसानी रहती है।
योजनाबद्ध ढंग से कार्य न किया जाए तो उसमें विलम्ब ही होता है। जीवन में सफलता का मिलना हमारी योजनाओं पर निर्भर करता है। यदि आप अपनी प्रतिदिन की दिनचर्या पूर्व में ही निर्धारित कर लें तो दिन के सभी कार्य भली-भांति पूर्ण हो जाते हैं। सही रीति यह है कि अगले दिन की कार्य योजना विगत रात्रि में बना लेनी चाहिए। यह योजना बनाने से पूर्व पिछले दिन यानि जो अभी बीता है का विश्लेषण भी कर लेना चाहिए। विगत दिन की जांच से हमें अपनी भूल का आभास हो जाता है और अगले दिन की कार्य योजना में सुधार करने का अवसर भी मिलता है जिससे कार्य या दिनचर्या सहज में अधिक परिणाम देती है। सफलता का यह भी एक अनमोल सूत्र है कि विगत दिन का विश्लेषण करके आने वाले कल की कार्य योजना पूर्व में ही बना ली जाए।
यह जान लें कि कार्य करने का दिन मात्र आज है। इसलिए सिर्फ आज की चिन्ता कीजिए, कल अपने आप सुधर जाएगा। इसलिए अपनी पूर्ण एकाग्रता और ध्यान आज पर ही रखना चाहिए। आज के बीतते ही वह बीता हुआ कल कहलाएगा, वह अपने साथ सभी हानि-लाभ, भूलें, चिन्ताएं, परेशानियां और शंकाए ले जाएगा।
आने वाले कल में संभावनाएं और अवसर होते हैं। आशाएं एवं आश्वासन साथ लाएगा। कल की दिनचर्या पूर्व निर्धारित करें विगत दिन की सीख लेकर तो कठिनाइयां उपलब्धियां बन जाएंगी। यह सब आज की तैयारियों पर निर्भर करता है। आज की तैयारी विगत से सीख लेकर रात्रि में बना लेनी चाहिए। ऐसा करने से समय की बचत होगी, जीवन जीना आसान होगा, सफलता अधिक निश्चित होगी और उपलब्धियां अधिक स्पष्ट होंगी।
हमारी असफलता के पीछे बीते हुए कल का बोझ और आने वाले कल की चिन्ताएं होती हैं जिन्हें हम ओढ़ लेते हैं। यदि हम आज पर पूर्ण ध्यान देंगे तो यह सब होगा ही नहीं।
योजनाबद्ध ढंग से कार्य न किया जाए तो उसमें विलम्ब ही होता है। जीवन में सफलता का मिलना हमारी योजनाओं पर निर्भर करता है। यदि आप अपनी प्रतिदिन की दिनचर्या पूर्व में ही निर्धारित कर लें तो दिन के सभी कार्य भली-भांति पूर्ण हो जाते हैं। सही रीति यह है कि अगले दिन की कार्य योजना विगत रात्रि में बना लेनी चाहिए। यह योजना बनाने से पूर्व पिछले दिन यानि जो अभी बीता है का विश्लेषण भी कर लेना चाहिए। विगत दिन की जांच से हमें अपनी भूल का आभास हो जाता है और अगले दिन की कार्य योजना में सुधार करने का अवसर भी मिलता है जिससे कार्य या दिनचर्या सहज में अधिक परिणाम देती है। सफलता का यह भी एक अनमोल सूत्र है कि विगत दिन का विश्लेषण करके आने वाले कल की कार्य योजना पूर्व में ही बना ली जाए।
यह जान लें कि कार्य करने का दिन मात्र आज है। इसलिए सिर्फ आज की चिन्ता कीजिए, कल अपने आप सुधर जाएगा। इसलिए अपनी पूर्ण एकाग्रता और ध्यान आज पर ही रखना चाहिए। आज के बीतते ही वह बीता हुआ कल कहलाएगा, वह अपने साथ सभी हानि-लाभ, भूलें, चिन्ताएं, परेशानियां और शंकाए ले जाएगा।
आने वाले कल में संभावनाएं और अवसर होते हैं। आशाएं एवं आश्वासन साथ लाएगा। कल की दिनचर्या पूर्व निर्धारित करें विगत दिन की सीख लेकर तो कठिनाइयां उपलब्धियां बन जाएंगी। यह सब आज की तैयारियों पर निर्भर करता है। आज की तैयारी विगत से सीख लेकर रात्रि में बना लेनी चाहिए। ऐसा करने से समय की बचत होगी, जीवन जीना आसान होगा, सफलता अधिक निश्चित होगी और उपलब्धियां अधिक स्पष्ट होंगी।
हमारी असफलता के पीछे बीते हुए कल का बोझ और आने वाले कल की चिन्ताएं होती हैं जिन्हें हम ओढ़ लेते हैं। यदि हम आज पर पूर्ण ध्यान देंगे तो यह सब होगा ही नहीं।
अत: आपको लक्ष्यानुरूप योजनाएं बनानी चाहिए और इसके लिए लम्बी कार्य योजना को दिनों में बांट कर बनाना चाहिए। लम्बी योजनाएं आज पर ध्यान देने से सरलता से पूर्ण हो जाएंगी। जीवन में व्यवस्था योजनाबद्ध जीवन जीने से आ जाती है। आज की योजना ही कल की सफलता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी देकर अपने विचारों को अभिव्यक्त करें।