नए रूप रंग के साथ अपने प्रिय ब्‍लॉग पर आप सबका हार्दिक स्‍वागत है !

ताज़ा प्रविष्ठियां

संकल्प एवं स्वागत्

ज्योतिष निकेतन संदेश ब्लॉग जीवन को सार्थक बनाने हेतु आपके लिए समर्पित हैं। आप इसके पाठक हैं, इसके लिए हम आपके आभारी रहेंगे। हमें विश्‍वास है कि आप सब ज्योतिष, हस्तरेखा, अंक ज्योतिष, वास्तु, अध्यात्म सन्देश, योग, तंत्र, राशिफल, स्वास्थ चर्चा, भाषा ज्ञान, पूजा, व्रत-पर्व विवेचन, बोधकथा, मनन सूत्र, वेद गंगाजल, अनुभूत ज्ञान सूत्र, कार्टून और बहुत कुछ सार्थक ज्ञान को पाने के लिए इस ब्‍लॉग पर आते हैं। ज्ञान ही सच्चा मित्र है और कठिन परिस्थितियों में से बाहर निकाल लेने में समर्थ है। अत: निरन्‍तर ब्‍लॉग पर आईए और अपनी टिप्‍पणी दीजिए। आपकी टिप्‍पणी ही हमारे परिश्रम का प्रतिफल है।

शुक्रवार, अप्रैल 15, 2011

भ्रष्टाचार से मुक्ति तभी मिलेगी जब हम चाहेंगे!


                                                          
    भ्रष्टाचार व्‍यक्ति की चारित्रिक दुर्बलता है और उसके नैतिक मूल्य को डिगा देती है| इसकी व्‍यापकता इतनी है कि यह हर जगह व्‍याप्‍त है। यह कह लीजिए वर्तमान समय में कोई इससे अछूता नहीं हैं| अब तो इसने असाध्य और महारोग का रूप धारण कर लिया है| आज यह समस्‍या विश्‍व की है और विकृत मस्तिष्क की उपज है| सही अर्थों में जब समाज की ईकाई भ्रष्ट हो जाती है तो समाज भ्रष्‍ट हो जाता है, ऐसे में समाज के समस्‍त मानदंड प्रभावित होते है| ईमानदारी और सत्‍यता के बजाए स्वार्थ और भ्रष्टता फैलती है|
    आचार्य कौटिल्य ने अपने ग्रन्‍थ 'अर्थशास्त्र' में भ्रष्टाचार के संबंध में कहा है-'अपि शक्य गतिर्ज्ञातुं पततां खे पतत्त्रिणाम्| न तु प्रच्छन्नं भवानां युक्तानां चरतां गति| अर्थात् आकाश में रहने वाले पक्षियों की गतिविधि का पता लगाया जा सकता है, किंतु राजकीय धन का अपहरण करने वाले कर्मचारियों की गतिविधि से पार पाना कठिन है| उनके अनुसार भ्रष्टाचार के आठ प्रकार हैं-प्रतिबंध, प्रयोग, व्यवहार, अवस्तार, परिहायण, उपभोग, परिवर्तन एवं अपहार|
     भोगवाद ने अहंकारी और लालची बनाया तभी प्रत्‍येक अपनी आय से अधिक प्राप्ति की प्रबल कमाना करता है और मर्यादा की समस्‍त सीमाएँ लाँघ लेना चाहता है और जैसे ही ऐसा प्रयास सफल होता है, भ्रष्टाचार का राक्षस हमी को निगलने का तैयार रहता है।
    भ्रष्टाचार रिश्वत, लूट-खसोट और भाई-भतीजावाद की देन है और एक से अधिक व्यक्तियों के बीच होता है जिससे इसकी एक ऋंखला बनती जाती है एवं ये व्‍यापक हो जाता है| यदि इसे एक व्यक्ति करे तो उसे धोखेबाज कहते हैं और एक से अधिक व्‍यक्ति करे तो भ्रष्टाचार कहलाता है| यह गोपनीय कार्य है और एक समूह आपसी मंत्रणा कर अपने निहित स्वार्थ हेतु यह कदम उठाता है| इसमें नियम और कानून का खुला उल्लंघन नहीं किया जाता है, अपितु योजनाबद्ध तरीके से जालसाजी की जाती है |
     भ्रष्टाचार से मुक्ति हेतु केवल कानून बनाना ही एकमात्र विकल्प नहीं है, इसमें प्रत्‍येक व्‍यक्ति की और पूरे समाज की एकजुटता चाहिए, वे प्रतिज्ञा करें कि भ्रष्‍टाचार की मुक्ति के लिए न रिश्‍वत देंगे और न लेंगे।  क्‍या व्यक्ति, यहां तक पूरे समाज में चारित्रिक सुदृढ़ता, ईमानदारी और साहस का होना अनिवार्य है| भ्रष्टाचार रूपी दैत्य से जूझने के लिए बाह्य और अन्‍त: दोनों से सुदृढ़ता चाहिए। हमें जागरूक होना होगा और दूसरों में भी ऐसी ही जागरुकता लानी होगी कि व्यक्ति भोग के लिए लोभ, मोह को छोड़कर आत्‍मबल सहित जीवनयापन को सदाचार संग जिए।
    समाज को एक अन्‍नाहजारे की जरुरत नहीं है, सभी को अन्‍नाहजारे बनना होगा और सदाचार संग जीवन जीने के साथ-साथ अगली पीढ़ी को भी ऐसा ही जीवन जीने की प्रेरणा देनी होगी तभी हम इस महारोग से मुक्ति पा सकेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्‍पणी देकर अपने विचारों को अभिव्‍यक्‍त करें।

पत्राचार पाठ्यक्रम

ज्योतिष का पत्राचार पाठ्यक्रम

भारतीय ज्योतिष के एक वर्षीय पत्राचार पाठ्यक्रम में प्रवेश लेकर ज्योतिष सीखिए। आवेदन-पत्र एवं विस्तृत विवरणिका के लिए रु.50/- का मनीऑर्डर अपने पूर्ण नाम व पते के साथ भेजकर मंगा सकते हैं। सम्पर्कः डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर' ज्योतिष निकेतन 1065/2, शास्त्री नगर, मेरठ-250 005
मोबाईल-09719103988, 01212765639, 01214050465 E-mail-jyotishniketan@gmail.com

पुराने अंक

ज्योतिष निकेतन सन्देश
(गूढ़ विद्याओं का गूढ़ार्थ बताने वाला हिन्दी मासिक)
स्टॉक में रहने तक मासिक पत्रिका के 15 वर्ष के पुराने अंक 3600 पृष्ठ, सजिल्द, गूढ़ ज्ञान से परिपूर्ण और संग्रहणीय हैं। 15 पुस्तकें पत्र लिखकर मंगा सकते हैं। आप रू.3900/-( डॉकखर्च सहित ) का ड्राफ्‌ट या मनीऑर्डर डॉ.उमेश पुरी के नाम से बनवाकर ज्‍योतिष निकेतन, 1065, सेक्‍टर 2, शास्‍त्री नगर, मेरठ-250005 के पते पर भेजें अथवा उपर्युक्त राशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट नं. 32227703588 डॉ. उमेश पुरी के नाम में जमा करा सकते हैं। पुस्तकें रजिस्टर्ड पार्सल से भेज दी जाएंगी। किसी अन्य जानकारी के लिए नीचे लिखे फोन नं. पर संपर्क करें।
ज्‍योतिष निकेतन, मेरठ
0121-2765639, 4050465 मोबाईल: 09719103988

विज्ञापन