रतन टाटा की छवि देशभर में एक अच्छे उद्योगपति की है, जिन्होंने अपनी दूरदर्शिता से भारतीय उद्योग जगत और समाज को बहुत कुछ दिया है। इन्हीं टाटा का एक दूसरा पहलू भी है, जो रोमांटिक है। यह खुलासा खुद टाटा समूह की करीब 100 कंपनियों के साम्राज्य के स्वामी ने किया है कि उन्हें भी एक बार प्यार हुआ था और वह चार बार दूल्हा बनते-बनते रह गए। उन्होंने कहा कि लेकिन दूर की सोचते हुए उन्हें लगता है कि अविवाहित रहना उनके लिए ठीक साबित हुआ क्योंकि अगर उन्होंने शादी कर ली होती तो स्थिति काफी जटिल होती। उन्होंने बताया, ‘मैं चार बार शादी करने के लिए गंभीर हुआ था और हर बार किसी न कि सी डर से पीछे हट गया।’
रतन टाटा जी का जन्म 28 दिसम्बर 1937 को 6बजकर30मिनट पर मुम्बई में हुआ था।उनकी कुण्डली इस प्रकार है-
रतन टाटा जी का जन्म 28 दिसम्बर 1937 को 6बजकर30मिनट पर मुम्बई में हुआ था।उनकी कुण्डली इस प्रकार है-
क्या कहती है रतन टाटा की कुण्डली विवाह के बारे में। उनका धनु लग्न में जन्म हुआ। उनके सातवें भाव का स्वामी बुध वक्री और अस्त है और सूर्य व शुक्र के साथ स्थित है। दारा कारक शुक्र भी सूर्य के साथ स्थित है और इन पर शनि की दृष्टि पड़ती है। विवाह का सुख देने वाला ग्रह शुक्र भी सूर्य के साथ होने के कारण ही वे विवाह में सफल नहीं हुए। जन्मकुण्डली के दूसरे भाव में नीच का गुरु स्थित है और केतु से दृष्ट है। नवांश कुण्डली में सप्तम भाव में राहु स्थित है। उनके पहले और सातवें भाव के सर्वाष्टक वर्ग की संख्या में 12 का अन्तर है जोकि उन्हें विवाह सुख से दूर ही रखे रहा। सप्तम भाव में सर्वाष्टक संख्या 21 है और सप्तमेश अशुभ एवं निर्बल है। इन ग्रह योगों ने ही उन्हें विवाह नहीं करने दिया। जब-जब विवाह के प्रति गम्भीर हुए तुरन्त किसी अज्ञात भय से पीछे हट गये।
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