अनियमितता उन्नति में बाधक है। अनियमितता की आदत से व्यक्ति एक निश्चित दिशा में नहीं बढ़ पाता है, इसी कारण उसका समय और श्रम दोनों ही व्यर्थ जाते हैं। नियमितता उन्नति में सहायक है। नियमितता से तात्पर्य यह है कि समय और कार्य की परस्पर संगति बिठाकर एक योजनाबद्ध दिनचर्या बनाकर उसके अनुरूप कार्य करने से है। नियमितता से कार्य करने की एक निश्चित दिशा बनती है जिससे अल्प श्रम व समय में अधिक कार्य होता है और उन्नति पथ प्रशस्त होता है।
नियमितता के चलते एक योजनाबद्ध होकर नियत क्रम से व्यवस्थित दिनचर्या रखने से क्रमिक विकास के संग उन्नति पथ प्रशस्त होने के साथ-साथ उसके उच्च शिखर तक पहुंचने का सुपथ मिलता है। यदि आप इसके विपरीत नियमितता अपनाए बिना अव्यस्थित दिनचर्या रखते हैं तो आप योग्यता एवं सुविधा होते हुए भी पिछड़ी परिस्थितियों संग जीवन जीते रहते हैं और असन्तोष एवं परेशान से रहते हैं कि सब आगे निकल गए मैं यहीं का यहीं पड़ा हूं। सत्य तो यही है कि जो प्रगतिशील है वह नियमितता का पक्षधर है और उसकी दिनचर्या व्यवस्थित और योजनाबद्ध रूप से चलती है। निज समय, श्रम और चिंतन को एक दिशा विशेष में संकल्प सहित नियोजित करना ही सफलता व उन्नति प्राप्ति का अनमोल सूत्र है।
जो योजना बनाकर उसपर नियमति रूप से न चलकर आलस्य एवं प्रमाद संग यूं ही समय का अपव्यय करते रहते हैं और अन्तत: कार्य या योजना को बीच में छोड़कर अपनी असफलता का रोना लेकर बैठ जाते हैं।
आप उन्नति पथ के पथिक बनना चाहते हैं तो नियमितता को प्रश्रय देकर नियमित दिनचर्या बनाएं।
नियमितता के चलते एक योजनाबद्ध होकर नियत क्रम से व्यवस्थित दिनचर्या रखने से क्रमिक विकास के संग उन्नति पथ प्रशस्त होने के साथ-साथ उसके उच्च शिखर तक पहुंचने का सुपथ मिलता है। यदि आप इसके विपरीत नियमितता अपनाए बिना अव्यस्थित दिनचर्या रखते हैं तो आप योग्यता एवं सुविधा होते हुए भी पिछड़ी परिस्थितियों संग जीवन जीते रहते हैं और असन्तोष एवं परेशान से रहते हैं कि सब आगे निकल गए मैं यहीं का यहीं पड़ा हूं। सत्य तो यही है कि जो प्रगतिशील है वह नियमितता का पक्षधर है और उसकी दिनचर्या व्यवस्थित और योजनाबद्ध रूप से चलती है। निज समय, श्रम और चिंतन को एक दिशा विशेष में संकल्प सहित नियोजित करना ही सफलता व उन्नति प्राप्ति का अनमोल सूत्र है।
जो योजना बनाकर उसपर नियमति रूप से न चलकर आलस्य एवं प्रमाद संग यूं ही समय का अपव्यय करते रहते हैं और अन्तत: कार्य या योजना को बीच में छोड़कर अपनी असफलता का रोना लेकर बैठ जाते हैं।
आप उन्नति पथ के पथिक बनना चाहते हैं तो नियमितता को प्रश्रय देकर नियमित दिनचर्या बनाएं।
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