जो लोग अपने कैरियर में सफल होते हैं वे विशेष बन जाते हैं और समस्त सुख-साधन एवं अधिकार पाते हैं। उनमें ऐसा क्या है जो वे सफल हो जाते हैं। सफलता का प्रथम सूत्र तो यही होता है कि हम सफल व्यक्तियों का अनुसरण करें या उनकी नकल।
सफलता के नौ सूत्रों की चर्चा करते हैं, इनको अपनाने से और इन पर चलने से सफलता निश्चय ही मिलेगी। ये सूत्र इस प्रकार हैं-
जब आप कार्यस्थल में स्वयं को सफल बना लेते हैं तो आप जीवन में सफलता की सीढ़ियां चढ जाते हैं। सफल व्यक्ति को भौतिक सुख साधन एवं समृद्धि की चिन्ता नहीं करनी पड़ती है, वे सब उसे उपलब्ध हो जाती हैं।
सफलता के नौ सूत्रों की चर्चा करते हैं, इनको अपनाने से और इन पर चलने से सफलता निश्चय ही मिलेगी। ये सूत्र इस प्रकार हैं-
1. अग्रणीय बनें!
इसके लिए लीड लें। जब किसी कार्य को करने कोई भी आगे नहीं आ रहा है और हिचक रहा है तो इसके लिए आगे आने वाला व्यक्ति ही विजेता की भूमिका निभाता है। यदि आप आगे बढ़ रहे हैं तो यह ध्यान रखें कि अपने रूटीन कार्य को कभी न भुलाएं।
2. लक्ष्य बनाएं!
मात्र कार्य करते रहने से आप कुएं के मेंढक बन जाएंगे। यदि लक्ष्य बनाकर कार्य करेंगे तो आपमें उसे पूरा करने का उत्साह रहेगा! यह जान लें कि कम्पनी के लक्ष्य को अपना लक्ष्य बना लेने से सुपरिणाम ही मिलते हैं।
3. कार्य की प्राथमिकता तय करें!
ऐसा करने से आप टीम में कार्य बांटकर अपना कार्यभार भी कम कर सकते हैं। यदि आपके पास टीम नहीं है तो ऐसे में कार्य की प्राथमिकता तय करना अत्यावश्यक है। कार्य की प्राथमिकता समझकर जो कार्य अधिक आवश्यक हो तो उसे पहले करें और उसी क्रम से शेष कार्य करें।
4. ऑफिस में व्यवहार ठीक रखें!
ऑफिस में प्रोफेशनल, सकारात्मक एवं सहानुभूति पूर्वक व्यवहार करने वाले सफल रहते हैं। अच्छा व्यवहार सदैव आपको लोकप्रिय बनाता है और आपके इस व्यवहार से ही आप कठिन से कठिन कार्य भी सबके सहयोग से आसानी से पूरे कर लेते हैं।
5. किसी भी परिस्थिति में आपे से बाहर न हों!
कहने का तात्पर्य यह है कि आपके सम्मुख किसी भी प्रकार की परिस्थित उत्पन्न हो जाए, एकदम अपना आपा न खोएं! सर्वप्रथम परिस्थिति को समझें और दूसरों की भी सुनें। किसी भी प्रकार की परिस्थिति या परेशानी में स्वयं पर संयम रखना आवश्यक है! आपे से बाहर होने से, असंयमित व्यवहार, तुरन्त गुस्से में आ जाने से काम बनना भी हो तो नहीं बनता है।
6. सहयोग की भावना रखें!
आप अच्छे कार्यकर्त्ता नहीं बन सकते हैं, यदि आपमें सहयोग भावना नहीं है। जिसमें सहयोग भावना नहीं है उसमें अच्छा लीडर बनने की भी योग्यता नहीं है। अच्छा लीडर निष्पक्ष एवं सहयोग भावना से परिपूर्ण होता है। सहयोग देंगे तो सहयोग मिलेगा भी। अतः सहयोगी बनना ही उचित है। सहयोग देंगे तो आसानी से सहयोग भी मिलेगा।
7. कार्य और जीवन में सन्तुलन बनाकर रखें!
यह स्मरण रखें कि कार्य और जीवन के मध्य एक सन्तुलन होना चाहिए। जीवन के सभी पक्ष महत्त्वपूर्ण हैं। जो ये कर पाते हैं वे ही अधिक सफल होते हैं और शीर्ष पर पहुंचते हैं। जो जीवन के संघर्ष से या कार्य के बोझ से तनाव में आ जाते हैं वे जल्दी टूट जाते हैं। इसलिए सफलता हेतु कार्य एवं जीवन के मध्य एक सन्तुलन होना चाहिए।
8. सफलता हेतु धैर्य रखे!
यह भी जान लें कि र्धर्य रखने पर ही सफलता मिलती है। जो धैर्य नहीं रख पाते हैं वे सफल भी नहीं होते हैं। अधीरता त्याग कर उक्त छह सूत्रों का पालन करें, यही धैर्य आपको शीर्ष पर पहुंचा देगा।
9. समय के मूल्य को जानें!
समय को यूं ही व्यर्थ न गवाएं। समय का प्रबन्धन करना सीखें! यदि आपको समय का मूल्य ज्ञात होगा और उसका प्रबन्धन करना आ जाएगा तो आप समय के अपव्यय से बच सकेंगे। इसका सुपरिणाम यह होगा कि आप कम समय में अधिक कार्य कर पाएंगे!जब आप कार्यस्थल में स्वयं को सफल बना लेते हैं तो आप जीवन में सफलता की सीढ़ियां चढ जाते हैं। सफल व्यक्ति को भौतिक सुख साधन एवं समृद्धि की चिन्ता नहीं करनी पड़ती है, वे सब उसे उपलब्ध हो जाती हैं।
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