आप भी अपने मस्तिष्क को नियन्त्रित कर सकते हैं। कई बार ऐसा होता है कि आप कार्य तो ऑफिस में कर रह होते हैं और आपका मस्तिष्क कहीं ओर होता है। उस समय आप अपने कार्य को यूं ही कर रहे होते हैं, आपको ध्यान कार्य के प्रति नहीं होता है। आप कार्य बिना समझे कर रहे होते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि आपका मस्तिष्क आपके वश में नहीं होता है, आपका अपने मस्तिष्क पर नियन्त्रण नहीं है। ऐसे में कार्य काफी देर तक चलता ही रहता है और पूरा भी नहीं होता है।
यह चिन्ता का विषय नहीं है क्योंकि आपके साथ ही नहीं, यह हर चौथे व्यक्ति के साथ होता है।
मस्तिष्क पर नियन्त्रण करना सीखना चाहिए। जब यह सीख जाएंगे तो आपको मस्तिष्क का प्रयोग करना आ जाएगा। मस्तिष्क का उपयोग अधिक से अधिक करना चाहिए। मस्तिष्क का जो जितना अधिक उपयोग करता है वो उतना अधिक सफल है। सामान्यतः लोग अपने मस्तिष्क का 10 प्रतिशत भाग ही उपयोग में लाते हैं। आपको अधिक से अधिक मस्तिष्क का उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए।
नियन्त्रित मस्तिष्क हमारी समस्त मानसिक ऊर्जा को कार्य में लगा देता है, जिससे अच्छे परिणाम सामने आते हैं। इसलिए मस्तिष्क को नियन्त्रित करना अवश्य सीखना चाहिए। ऐसे में मन में यह प्रश्न उठता है कि मस्तिष्क को कैसे नियन्त्रित करें?
सर्वप्रथम आपको यह स्वयं से प्रश्न करके यह जानना होगा कि आपका ध्यान किससे बंटता है। जब यह आप जान जाते हैं तो आप मस्तिष्क को नियन्त्रित करने का पहला कदम बढ़ा चुके होते हैं। मस्तिष्क को भटकाने वाली वस्तु की पहचान करना पहला सोपान् है। जो वस्तु आपको एकाग्र नहीं होने देती उसकी पहचान करके उसे नोट कर लें। अब यह सोचें कि यह क्यों आपको तंग कर रही है, भटकाने का क्या कारण है।
अब मस्तिष्क को इससे मुक्त करके उबरने का क्या उपाय है, यह जानना होगा।
मस्तिष्क में जो भी नकारात्मक भाव है, उन्हें दूर भगाएं! अधिक नकारात्मकता अधिक अनियन्त्रिण! जैसे-जैसे आप अपने भीतर के नकारात्मकता को कम करते जाते हैं वैसे-वैसे आपका मस्तिष्क पर नियन्त्रण होता जाता है। व्यर्थ की नकारात्कता हमें अधिक घेरती है, इससे मुक्ति ही हमें मस्तिष्क पर नियन्त्रण सौंपती है।
यदि आप व्यक्तिगत समस्या से परेशान हैं तो आपका मस्तिष्क अस्थिर रहेगा और आपका नियन्त्रिण अपने मस्तिष्क पर नहीं रहेगा।
समस्या कैसी भी हो व्यक्तिगत या कार्यालय सम्बन्धी उसे निपटाएं तभी आप अपने मस्तिष्क पर नियन्त्रण कर पाएंगे।
स्वयं को पहचानें। जब तक आप स्वयं को और अपनी क्षमताओं को नहीं आंकेंगे तब तक आपका नियन्त्रण आपके मस्तिष्क पर नहीं होगा। जब तक मस्तिष्क पर नियन्त्रण नहीं होगा तब तक आप लक्ष्यहीन एक यन्त्र सदृश कार्य करते ही रहेंगे!
मस्तिष्क को खुराक दें। प्रतिदिन ध्यान लगाने से मन एकाग्र होता है, नकारात्मकता दूर होती है और कार्य सहज में पूर्ण हो जाते हैं। ध्यान मस्तिष्क की खुराक होती है।
आराम या रिलेक्स भी हों! कार्य करते-करते पलक झपककर या कुछ समय आंखें बन्दकरके आप स्वयं को आराम दे सकते हैं, इससे आपमें नई ऊर्जा का संचार होगा और अपने ही प्रयासों से शीघ्र ही आप अपने मस्तिष्क के स्वामी बन जाएंगे।
मस्तिष्क के स्वामी बनते ही आप अपने कार्य यूं ही सहज होकर पूरे कर लेंगे और उन्नति भी आपके चरण चूमने को तत्पर रहेगी। आप एक सफल व्यक्ति कहलाने लगेंगे!
यह चिन्ता का विषय नहीं है क्योंकि आपके साथ ही नहीं, यह हर चौथे व्यक्ति के साथ होता है।
मस्तिष्क पर नियन्त्रण करना सीखना चाहिए। जब यह सीख जाएंगे तो आपको मस्तिष्क का प्रयोग करना आ जाएगा। मस्तिष्क का उपयोग अधिक से अधिक करना चाहिए। मस्तिष्क का जो जितना अधिक उपयोग करता है वो उतना अधिक सफल है। सामान्यतः लोग अपने मस्तिष्क का 10 प्रतिशत भाग ही उपयोग में लाते हैं। आपको अधिक से अधिक मस्तिष्क का उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए।
नियन्त्रित मस्तिष्क हमारी समस्त मानसिक ऊर्जा को कार्य में लगा देता है, जिससे अच्छे परिणाम सामने आते हैं। इसलिए मस्तिष्क को नियन्त्रित करना अवश्य सीखना चाहिए। ऐसे में मन में यह प्रश्न उठता है कि मस्तिष्क को कैसे नियन्त्रित करें?
सर्वप्रथम आपको यह स्वयं से प्रश्न करके यह जानना होगा कि आपका ध्यान किससे बंटता है। जब यह आप जान जाते हैं तो आप मस्तिष्क को नियन्त्रित करने का पहला कदम बढ़ा चुके होते हैं। मस्तिष्क को भटकाने वाली वस्तु की पहचान करना पहला सोपान् है। जो वस्तु आपको एकाग्र नहीं होने देती उसकी पहचान करके उसे नोट कर लें। अब यह सोचें कि यह क्यों आपको तंग कर रही है, भटकाने का क्या कारण है।
अब मस्तिष्क को इससे मुक्त करके उबरने का क्या उपाय है, यह जानना होगा।
मस्तिष्क में जो भी नकारात्मक भाव है, उन्हें दूर भगाएं! अधिक नकारात्मकता अधिक अनियन्त्रिण! जैसे-जैसे आप अपने भीतर के नकारात्मकता को कम करते जाते हैं वैसे-वैसे आपका मस्तिष्क पर नियन्त्रण होता जाता है। व्यर्थ की नकारात्कता हमें अधिक घेरती है, इससे मुक्ति ही हमें मस्तिष्क पर नियन्त्रण सौंपती है।
यदि आप व्यक्तिगत समस्या से परेशान हैं तो आपका मस्तिष्क अस्थिर रहेगा और आपका नियन्त्रिण अपने मस्तिष्क पर नहीं रहेगा।
समस्या कैसी भी हो व्यक्तिगत या कार्यालय सम्बन्धी उसे निपटाएं तभी आप अपने मस्तिष्क पर नियन्त्रण कर पाएंगे।
स्वयं को पहचानें। जब तक आप स्वयं को और अपनी क्षमताओं को नहीं आंकेंगे तब तक आपका नियन्त्रण आपके मस्तिष्क पर नहीं होगा। जब तक मस्तिष्क पर नियन्त्रण नहीं होगा तब तक आप लक्ष्यहीन एक यन्त्र सदृश कार्य करते ही रहेंगे!
मस्तिष्क को खुराक दें। प्रतिदिन ध्यान लगाने से मन एकाग्र होता है, नकारात्मकता दूर होती है और कार्य सहज में पूर्ण हो जाते हैं। ध्यान मस्तिष्क की खुराक होती है।
आराम या रिलेक्स भी हों! कार्य करते-करते पलक झपककर या कुछ समय आंखें बन्दकरके आप स्वयं को आराम दे सकते हैं, इससे आपमें नई ऊर्जा का संचार होगा और अपने ही प्रयासों से शीघ्र ही आप अपने मस्तिष्क के स्वामी बन जाएंगे।
मस्तिष्क के स्वामी बनते ही आप अपने कार्य यूं ही सहज होकर पूरे कर लेंगे और उन्नति भी आपके चरण चूमने को तत्पर रहेगी। आप एक सफल व्यक्ति कहलाने लगेंगे!
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