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शुक्रवार, मार्च 18, 2011

दैनिक आय-व्यय का चिन्तन कीजिए


   
   
    वर्षान्त या जीवन के अन्त में आय-व्यय का लेखा-जोखा मिलाने की आदत न बनाएं! प्रतिदिन की आय कितनी है कैसे बढ़ सकती है, व्यय कितना है कैसे घट सकता है। अपनी परिस्थिति को प्रतिदिन आंकिए! आपकी आय का वह भाग मूल्यवान्‌ है जो उचित व्यय के उपरान्त आपके कोष(बैंक) में जमा होता है, आपत्ति में यही काम आता है।
    शास्त्र वचन है कि आपदर्थे धनं रक्षेत अर्थात्‌ आपत्ति के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए! धन हो तो बचाना सीखिए और न हो तो अर्जित करके बचाना सीखए!
    आय का 25 प्रतिशत बचाने की आदत बनाएं! एक स्थायी कर्मचारी किसी कम्पनी में कार्य करता है तो नियमानुसार उसकी आय में से 12.5 प्रतिशत काट कर भविष्य निधि खाते में जमा किया जाता है और इतना ही यानि 12.5 प्रतिशत  नियोक्ता अपने पास से जमा करता है, इस प्रकार लगभग 25 प्रतिशत कर्मचारी के खाते में जमा हो जाता है। यही राशि बुढ़ापे में कार्य आती है या आवश्यक खर्चों के समय उपयोग में आती है! यदि आपका धन भविष्यनिधि खाते में जमा नहीं होता है तो आपको आय का 25 प्रतिशत बचाने का प्रयास करना चाहिए।
    चाणक्य वाक्य को अपनाकर प्रतिदिन चिन्तन करें कि कैसा समय है, कौन-कौन सहायक है, कैसा देश है, आय-व्यय कितना है, मैं कौन हूं और मुझमें कितनी सामर्थ्य है! ऐसा करने से भी जीवन को विकसित करने का अवसर और मार्ग मिलता है।

1 टिप्पणी:

  1. मंगलकारी आलेख के लिए साधुवाद!
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    महकती रहे यह सतत काव्य-धारा।
    जिसे आपने कागजों पर उतारा॥
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    होली मुबारक़ हो। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

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