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बुधवार, मार्च 02, 2011

21-समृद्ध कैसे बनें?



    प्रकृति स्‍वप्‍न पूरे करने में सहायक होती है! प्रकृति मौन होते हुए भी सबकी प्रेरणा का स्रोत है। वह मौन रहकर दूजों के स्‍वप्‍न पूरे करने में उत्‍प्रेरक का कार्य करती है और उनका उन्‍नति मार्ग प्रशस्‍त करती है।
    आप प्रकृति सदृश दूजों की इच्‍छाएं पूर्ण करने में सहायक बन सकते हैं। यह जान लें कि स्‍वयं के लिए धन कमाने का यह सर्वोत्तम सूत्र है। आप दूजों को उनके स्‍वप्‍न, इच्‍छाएं और लक्ष्‍य-प्राप्ति के लिए प्रेशर करें। ऐसा करने से आप उनके प्रेरक या सहायक बन जाएंगे और आप द्वारा प्रदत्त प्रेरणा य सहायता भविष्‍य में आपके स्‍वप्‍न, इच्‍छाएं और लक्ष्‍य की पूर्ति का साधन स्‍वत: बन जाएंगी।
    निष्‍कर्षत: यदि आप अपने लक्ष्‍यों को पाने के लिए दूजों को प्रेशर करना चाहते हैं तो सर्वप्रथम आपको उनके लक्ष्‍य की पूर्ति में सहायक बनना चाहिए। दूसरों के लिए की गई सहायता अपने(स्‍वयं के) लिए प्राप्‍त होने वाली अदृश्‍य सहायता का साधन बन जाती है।  (क्रमश:)
(आप समृद्धि के रहस्‍य से वंचित न रह जाएं इसलिए ज्‍योतिष निकेतन सन्‍देश  पर प्रतिदिन आकर 'समृद्ध कैसे बनें' सीरीज के लेख पढ़ना न भूलें! ये लेख आपको सफलता का सूत्र दे सकते हैं, इस सूत्र के अनुपालन से आप समृद्ध बनने का सुपथ पा सकते हैं!)

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