प्रकृति में सृजनात्मकता अन्तहीन है!
प्रकृति की सृजनात्मकता का क्षेत्र अन्तहीन है। प्रकृति से सृजन का पाठ पढ़ना चाहिए और सदैव रचनात्मक कार्य करने चाहिएं। रचनात्मकता आपको सृजन के अनेक अवसर प्रदान करेगी। जब यह सब होने लगेगा तो अर्थ की गति आपकी ओर मुड़ जाएगी। सृजन सत्य ज्ञान के व्यवहार से उत्पन्न होता है जोकि रचनात्मकता को प्रश्रय देता जाता है। इसका अनुभव प्रकृति से सृजन का अन्तहीन पाठ पढ़ने पर मिलेगा। (क्रमश:)
(आप समृद्धि के रहस्य से वंचित न रह जाएं इसलिए ज्योतिष निकेतन सन्देश पर प्रतिदिन आकर 'समृद्ध कैसे बनें' सीरीज के लेख पढ़ना न भूलें! ये लेख आपको सफलता का सूत्र दे सकते हैं, इस सूत्र के अनुपालन से आप समृद्ध बनने का सुपथ पा सकते हैं!)
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सृजन ही जीवन का आधार है। प्रकृति जो सृजन के साथ-साथ विनाश लीला भी रचती है वह भी कहीं न कहीं किसी सृजन का आधार ही होता है। दोनों साथ साथ चलते रहते हैं। जीवन को समेकित रूप से देखने से भी सृजनात्मकता निखरती है। साथ ही साथ इससे कार्यों के दौरान होने वाले अवसाद से भी बचा जा सकता है।
जवाब देंहटाएंगोपाल