प्रकृति में असीमित संगठन शक्ति होती है!
प्रकृति का कैनवास विस्तृत है और उसमें पंच तत्वों की प्रचुरता समाहित है। इन तत्वों को उसने जड़-चेतन के असंख्य रूपों में संगठित करके स्वचालित रूप से अपने विस्तृत क्षेत्र में संगठित कर रखा है। हमारा शरीर भी पंच तत्वों का प्रतिरूप है और हमें भी प्रकृति सदृश बाह्य एवं अन्त: रूप में स्वयं को संगठित करना होगा। यह जान लें कि संगठित होने पर ही जीवन को सफलता सहित प्रत्येक रूप में समृद्ध होने का अवसर मिल पाएगा। अत: स्वयं को बाह्य एवं अन्त: रूप में संगठित करने का पूर्ण प्रयास करें। स्वयं को प्रत्येक रूप में संगठित करने में सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।(क्रमश:)
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पत्राचार पाठ्यक्रम
ज्योतिष का पत्राचार पाठ्यक्रम
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ज्योतिष निकेतन सन्देश
(गूढ़ विद्याओं का गूढ़ार्थ बताने वाला हिन्दी मासिक)
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ज्योतिष निकेतन, मेरठ
0121-2765639, 4050465 मोबाईल: 09719103988
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