प्रकृति जैसा चाहती है वैसा बन जाती है!
आपको भी प्रकृति के इस गुण को अपनाना चाहिए। इस गुण को अपनाने पर आप जैसा चाहेंगे वैसा बन जाएंगे। आप क्या चाहते?जब तक आप अपनी कल्पना-शक्ति या स्वयं के आत्मनिरीक्षण के बाद यह निश्चित नहीं करेंगे तब तक बनेंगे कैसे? आपमें ईश्वर ने अनेक शक्तियों को स्फुरित किया है जोकि सुतुप्त अवस्था में आपके अन्त: में निहित हैं। आपको इन सोयी शक्तियों को जानना है। ये शक्तियां जितनी जाग जाएंगी उतनी प्रतिभा आपमें आ जाएगी और तक उसीक के अनुरूप सरलता से यह जान सकेंगे कि आप क्या बनना चाहते हैं? यह तो आप भी जानते ही होंगे कि जहां चाह है वहां राह है। चाहत के बिना राह निर्धारित हो ही नहीं सकती। किसी की भी चाहत उसको पाने का प्रथम चरण है। आपको अपनी सुप्त शक्तियों को जगाकर अपनी मौलिक योग्यता को जानना है और फिर उसी के अनुरूप प्रयास करना है। यदि आपने ऐसा किया तो आपको कोई नहीं रोक सकेगा समृद्ध होने के लिए। (क्रमश:)
(आप समृद्धि के रहस्य से वंचित न रह जाएं इसलिए ज्योतिष निकेतन सन्देश पर प्रतिदिन आकर 'समृद्ध कैसे बनें' सीरीज के लेख पढ़ना न भूलें! ये लेख आपको सफलता का सूत्र दे सकते हैं, इस सूत्र के अनुपालन से आप समृद्ध बनने का सुपथ पा सकते हैं!)
आपको भी प्रकृति के इस गुण को अपनाना चाहिए। इस गुण को अपनाने पर आप जैसा चाहेंगे वैसा बन जाएंगे। आप क्या चाहते?जब तक आप अपनी कल्पना-शक्ति या स्वयं के आत्मनिरीक्षण के बाद यह निश्चित नहीं करेंगे तब तक बनेंगे कैसे? आपमें ईश्वर ने अनेक शक्तियों को स्फुरित किया है जोकि सुतुप्त अवस्था में आपके अन्त: में निहित हैं। आपको इन सोयी शक्तियों को जानना है। ये शक्तियां जितनी जाग जाएंगी उतनी प्रतिभा आपमें आ जाएगी और तक उसीक के अनुरूप सरलता से यह जान सकेंगे कि आप क्या बनना चाहते हैं? यह तो आप भी जानते ही होंगे कि जहां चाह है वहां राह है। चाहत के बिना राह निर्धारित हो ही नहीं सकती। किसी की भी चाहत उसको पाने का प्रथम चरण है। आपको अपनी सुप्त शक्तियों को जगाकर अपनी मौलिक योग्यता को जानना है और फिर उसी के अनुरूप प्रयास करना है। यदि आपने ऐसा किया तो आपको कोई नहीं रोक सकेगा समृद्ध होने के लिए। (क्रमश:)
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