प्रकृति के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है!
प्रकृति को पढ़ने के लिए कहें तो लोग कहते हैं कि उसे पढ़ना असम्भव है। क्या आप भी ऐसा समझते हैं? आपको ऐसा समझना ही नहीं चाहिए। असम्भव शब्द तो मूर्खों के शब्दकोश में पाया जाता है। यह जान लें कि प्रत्येक सुकार्य प्रारम्भ में असम्भव लगता है। असम्भव से कदापि भयभीत नहीं होना चाहिए।
असम्भव से कभी पूछेंगे-'तुम कहां रहते हो?'
वह प्रत्युत्तर में यही कहेगा-'मैं तो निर्बल और निठल्लों के पास रहता हूं।'
किसी कार्य को असम्भव न समझना उसके पूर्ण होने का पहला लक्षण है। असम्भव न समझकर किया गया अल्प प्रयास कार्य का दूसरा लक्षण है। दूसरा लक्षण साधन जुटाता है और साध्य(जो कार्य का लक्ष्य है) तक पहुंचाता है। कार्य की पूर्णता परिणाम रूप में फलीभूत होती है। जिस प्रकार प्रकृति के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है उसी प्रकार आपको कुछ भी असम्भव नहीं समझना चाहिए। यदि आपने ऐसा कर लिया तो फिर आपके लिए कुछ भी कठिन नहीं होगा। आप सब कुछ कर सकने में सक्षम हो जाएंगे। आपको आज से अपना प्रेरक वाक्य यह समझना होगा-'मेरे लिए सब कुछ सम्भव है।' इस पर आपने व्यवहारिक दृष्टिकोण रखा तो समझ लें आपके कार्यों की बाधाएं स्वत: विलुप्त होने लगेंगी। (क्रमश:)
(आप समृद्धि के रहस्य से वंचित न रह जाएं इसलिए ज्योतिष निकेतन सन्देश पर प्रतिदिन आकर 'समृद्ध कैसे बनें' सीरीज के लेख पढ़ना न भूलें! ये लेख आपको सफलता का सूत्र दे सकते हैं, इस सूत्र के अनुपालन से आप समृद्ध बनने का सुपथ पा सकते हैं!)
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असम्भव से कभी पूछेंगे-'तुम कहां रहते हो?'
वह प्रत्युत्तर में यही कहेगा-'मैं तो निर्बल और निठल्लों के पास रहता हूं।'
किसी कार्य को असम्भव न समझना उसके पूर्ण होने का पहला लक्षण है। असम्भव न समझकर किया गया अल्प प्रयास कार्य का दूसरा लक्षण है। दूसरा लक्षण साधन जुटाता है और साध्य(जो कार्य का लक्ष्य है) तक पहुंचाता है। कार्य की पूर्णता परिणाम रूप में फलीभूत होती है। जिस प्रकार प्रकृति के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है उसी प्रकार आपको कुछ भी असम्भव नहीं समझना चाहिए। यदि आपने ऐसा कर लिया तो फिर आपके लिए कुछ भी कठिन नहीं होगा। आप सब कुछ कर सकने में सक्षम हो जाएंगे। आपको आज से अपना प्रेरक वाक्य यह समझना होगा-'मेरे लिए सब कुछ सम्भव है।' इस पर आपने व्यवहारिक दृष्टिकोण रखा तो समझ लें आपके कार्यों की बाधाएं स्वत: विलुप्त होने लगेंगी। (क्रमश:)
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