प्रकृति में आदर्श सन्तुलन की प्रक्रिया निहित है!
प्रकृति में आदर्श सन्तुलन की अद्भुत शक्ति निहित है। प्रकृति सन्तुलन के लिए विध्वंस को शस्त्र सदृश प्रयोग करती है। मानव में गुण-दोषों का स्रोत विद्यमान है। जब मानव अन्त: और बाह्य जगत् में एक आदर्श सन्तुलन स्थापित कर लेता है तो उसमें अपने एवं दूजों के गुणों व दोषों को परखने की सामर्थ्य उत्पन्न हो जाती है। फलत: सार्थकता को ग्रहण करने के स्वर्णिम अवसर मिलते हैं जो श्री की वृद्धि में सहायक होते हैं। (क्रमश:)
(आप समृद्धि के रहस्य से वंचित न रह जाएं इसलिए ज्योतिष निकेतन सन्देश पर प्रतिदिन आकर 'समृद्ध कैसे बनें' सीरीज के लेख पढ़ना न भूलें! ये लेख आपको सफलता का सूत्र दे सकते हैं, इस सूत्र के अनुपालन से आप समृद्ध बनने का सुपथ पा सकते हैं!)
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प्रकृति जिस प्रकार संतुलन के लिए विध्वंस करती है उसी प्रकार मनुष्य को चाहिए कि वह यदि श्रेयस् प्राप्ति का आकांक्षी है तो अपने दोषों को विध्वंस करने का और अपने गुणों के वार्द्धक्य का प्रयत्न सतत करता रहे। उसी में उसका कल्याण निहित है।
जवाब देंहटाएंगोपाल