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गुरुवार, फ़रवरी 10, 2011

1-समृद्ध कैसे बनें?



सर्वाधिक समृद्ध कौन है ?
सर्वाधिक समृद्ध प्रकृति है, उससे बड़ा समृद्ध कोई नहीं है।
जब आप यह जानते हैं कि सबसे बड़ा समृद्ध कौन है तो फिर समृद्धि के लिए इधर-उधर भटकने की क्‍या आवश्‍यकता है? 
आपको प्रकृति का स्‍वाध्‍याय करना है। यदि आपने ऐसा करना सीख लिया है तो समझ लें आपने अपनी समृद्धि का द्वार भी खोल लिया है।
समृद्धि के लिए प्रकृति के गुणों का अनुसरण कीजिए, उसमें असीम सम्‍भावनाएं छिपी हैं। 
आईए हम सब प्रकृति की गुणधर्मिता को सहज होकर जानें, उसे जाने बिना समृद्धि का द्वार नहीं खुल सकता है।
आईए प्रकृति का स्‍वाध्‍याय करें! उसका अनुशीलन करने से ज्ञानकोश में वृद्धि होगी जिससे स्‍वयं को जानने की सामर्थ्‍य बढ़ेगी और यह सब होने से समृद्धि का मार्ग कंटकविहीन हो जाएगा। आईए गम्‍भीरता सहित पूर्ण ध्‍यान से प्रकृति का निकट से साक्षात्‍कार करने के लिए उसका गहन अध्‍ययन करें। प्रकृति को जान लेने से स्‍वयं का साक्षात्‍कार हो जाता है और साथ में यह भी ज्ञात हो जाता है कि आप में समृद्ध बनने की कितनी सामर्थ्‍य है। जब आपको अपनी सामर्थ्‍य का पूर्वानुमान हो जाएगा तो आप स्‍वत: उसके अनुरूप अपने साध्‍य(समृद्धि) को पाने के लिए साधन जुटा पाने में सक्षम हो सकेंगे। आईए अब एक-एक करके प्रकृति की रहस्‍यमयी परतों को खोलें। आपको इन परतों को मात्र खोलना नहीं है, अपितु उसे व्‍यवहार में लाना है। यदि आपने ऐसा किया तो समझ लीजिए आपने प्रकृति का परिचय पा लिया। प्रकृति जगत् में सवार्धिक धनी है, जब आपने उसे समझ लिया तो आपको समृद्ध होने से कौन रोकेगा।(क्रमश:)
(आप समृद्धि के रहस्‍य से वंचित न रह जाएं इसलिए ज्‍योतिष निकेतन सन्‍देश पर प्रतिदिन आकर 'समृद्ध कैसे बनें' सीरीज के लेख पढ़ना न भूलें! ये लेख आपको सफलता का सूत्र दे सकते हैं, इस सूत्र के अनुपालन से आप समृद्ध बनने का सुपथ पा सकते हैं!)

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