एक खेत में लोमड़ी अपने दो बच्चों संग रहती थी। एक दिन खेत पर पहुंचकर किसान ने अपने बेटे से कहा-'बेटा खेत पक गया है। कल नौकरों को बुला लाना, खेत काट लेंगे।' यह सुनकर लोमड़ी के बच्चे डर गए, उन्होंने मां को यहां से चलने के लिए कहा।
लोमड़ी बोली अभी चिन्ता की बात नहीं है।
किसान खेत पर पुत्र संग पहुंच गया पर नौकर नहीं आए तो उसने पुत्र से कहा-'बेटा! कल पड़ोसियों को ही ले आना, खेत काट लेंगे।'
लोमड़ी के बच्चे फिर मां से चलने के लिए कहने लगे। पर मां ने फिर मना कर दिया।
तीसरे दिन किसान पुत्र संग पहुंच गया पर पड़ोसी न आए। तब किसान पुत्र से बोला-'कब तक दूसरों के सहारे यूं ही बैठे रहेंगे। कल हंसिया ले आना हम दोनों ही काटेंगे।'
इस बार लोमड़ी ने बच्चों से कहा-'चलो।'
यह सुनकर बच्चे बोले-'हम दो दिन से चलने के लिए कह रहे हैं, तो तुम चली नहीं, आज अपने आप ही चलने को कह रही हो।'
यह सुनकर बिल्ली बोली-'बच्चो! दो दिन से किसान मात्र बोलता था। लेकिन आज उसका संकल्प बोल रहा था। यह जान लो संकल्पवान् कुछ भी कर सकते हैं।'
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