एक व्यक्ति के दो लड़के थे। एक दिन उसके मन में विचार आया कि इनकी समझ की परख करनी चाहिए। उसन मन में आए विचार को फलीभूत करने के लिए एक दिन अपने दोनों लड़कों को बुलाकर कहा-'मेरे बच्चों! मैं तुम दोनों को दस-दस रुपए दे रहा हूं। इन रुपयों से तुम दोनों अपनी-अपनी मर्जी से कोई ऐसी वस्तु खरीदकर लाओ जो फर्श से छत तक जा पहुंचे।'
दोनों पुत्र पिता से दस-दस रुपए लेकर एक साथ बोले-'ठीक पिताजी! हम बाजार जाकर खरीद लाते हैं।'
दोनों लड़के बाजार चले गए।
एक लड़का दस रुपए में एक दीमक लगा बांस खरीद लाया और दूसरा लड़का बाजार से एक लालटेन खरीद लाया।
लालटेन जब भी जलता उसका प्रकाश फर्श से छत तक जाता। लालटेन का प्रकाश सदैव सार्थक जाता। दूसरे लड़के के दीमक लगे बांस में और दीमक लगती गई। दीमक बढ़ते देखकर उसे बाहर फिंकवाना पड़ा की कहीं अन्य वस्तुओं में दीमक न लग जाए।
ईश्वर की दी हुई अमूल्य जीवन संपदा के बदले हम क्या खरीदते हैं यह हमारी बुद्धिमता और मूर्खता पर निर्भर करता है।
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