नए रूप रंग के साथ अपने प्रिय ब्‍लॉग पर आप सबका हार्दिक स्‍वागत है !

ताज़ा प्रविष्ठियां

संकल्प एवं स्वागत्

ज्योतिष निकेतन संदेश ब्लॉग जीवन को सार्थक बनाने हेतु आपके लिए समर्पित हैं। आप इसके पाठक हैं, इसके लिए हम आपके आभारी रहेंगे। हमें विश्‍वास है कि आप सब ज्योतिष, हस्तरेखा, अंक ज्योतिष, वास्तु, अध्यात्म सन्देश, योग, तंत्र, राशिफल, स्वास्थ चर्चा, भाषा ज्ञान, पूजा, व्रत-पर्व विवेचन, बोधकथा, मनन सूत्र, वेद गंगाजल, अनुभूत ज्ञान सूत्र, कार्टून और बहुत कुछ सार्थक ज्ञान को पाने के लिए इस ब्‍लॉग पर आते हैं। ज्ञान ही सच्चा मित्र है और कठिन परिस्थितियों में से बाहर निकाल लेने में समर्थ है। अत: निरन्‍तर ब्‍लॉग पर आईए और अपनी टिप्‍पणी दीजिए। आपकी टिप्‍पणी ही हमारे परिश्रम का प्रतिफल है।

शनिवार, सितंबर 04, 2010

मन के जीते जीत


किसी कवि ने ठीक कहा है कि 
मन के हारे हार है, मन के जीते जीत ।
प्रकृति को सन्‍तुलित करने के लिए ईश्‍वर ने दिन और रात की व्‍यवस्‍था की है। इसी प्रकार उसने  मानव जीवन सन्‍तुलित करने के लिए एवं उसे  परीक्षा की कसौटी पर कसने के लिए ही सुख के साथ दु:ख को जोड़ा है। यह सत्‍य है कि यदि दु:ख न हो तो सुख का भास ही न हो। सुख की अनुभूति दु:ख को जाने बिना हो ही नहीं सकती है। जब आपको यह पता है तो आपको दु:ख आने पर विचलित नहीं होना चाहिए, उसे हंस-हंसकर झेलना चाहिए, रोकर या परेशान होकर नहीं। दु:ख का हंसकर स्‍वागत् करने लगेंगे तो वह आपको कष्‍टकारी लगेगा ही नहीं। 
अपने समस्‍त आवश्‍यक कार्य को उत्‍साह संग करें। अपने पास उत्‍साह-हीनता कदापि न आने दें। कैसी भी परिस्थिति हो साहस का दामन न छोड़ें। सदैव समयानुकूल सक्रिय रहें और  मन में निराशा, असफलता एवं हार के भाव न आने दें क्‍योंकि मन को जीत लेंगे तो चहुं ओर जीत ही दिखाई देगी। इतना कर लेंगे तो आप सफलता का सोपान चढ़ने में सहजता महसूस करेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्‍पणी देकर अपने विचारों को अभिव्‍यक्‍त करें।

पत्राचार पाठ्यक्रम

ज्योतिष का पत्राचार पाठ्यक्रम

भारतीय ज्योतिष के एक वर्षीय पत्राचार पाठ्यक्रम में प्रवेश लेकर ज्योतिष सीखिए। आवेदन-पत्र एवं विस्तृत विवरणिका के लिए रु.50/- का मनीऑर्डर अपने पूर्ण नाम व पते के साथ भेजकर मंगा सकते हैं। सम्पर्कः डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर' ज्योतिष निकेतन 1065/2, शास्त्री नगर, मेरठ-250 005
मोबाईल-09719103988, 01212765639, 01214050465 E-mail-jyotishniketan@gmail.com

पुराने अंक

ज्योतिष निकेतन सन्देश
(गूढ़ विद्याओं का गूढ़ार्थ बताने वाला हिन्दी मासिक)
स्टॉक में रहने तक मासिक पत्रिका के 15 वर्ष के पुराने अंक 3600 पृष्ठ, सजिल्द, गूढ़ ज्ञान से परिपूर्ण और संग्रहणीय हैं। 15 पुस्तकें पत्र लिखकर मंगा सकते हैं। आप रू.3900/-( डॉकखर्च सहित ) का ड्राफ्‌ट या मनीऑर्डर डॉ.उमेश पुरी के नाम से बनवाकर ज्‍योतिष निकेतन, 1065, सेक्‍टर 2, शास्‍त्री नगर, मेरठ-250005 के पते पर भेजें अथवा उपर्युक्त राशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट नं. 32227703588 डॉ. उमेश पुरी के नाम में जमा करा सकते हैं। पुस्तकें रजिस्टर्ड पार्सल से भेज दी जाएंगी। किसी अन्य जानकारी के लिए नीचे लिखे फोन नं. पर संपर्क करें।
ज्‍योतिष निकेतन, मेरठ
0121-2765639, 4050465 मोबाईल: 09719103988

विज्ञापन