नए रूप रंग के साथ अपने प्रिय ब्‍लॉग पर आप सबका हार्दिक स्‍वागत है !

ताज़ा प्रविष्ठियां

संकल्प एवं स्वागत्

ज्योतिष निकेतन संदेश ब्लॉग जीवन को सार्थक बनाने हेतु आपके लिए समर्पित हैं। आप इसके पाठक हैं, इसके लिए हम आपके आभारी रहेंगे। हमें विश्‍वास है कि आप सब ज्योतिष, हस्तरेखा, अंक ज्योतिष, वास्तु, अध्यात्म सन्देश, योग, तंत्र, राशिफल, स्वास्थ चर्चा, भाषा ज्ञान, पूजा, व्रत-पर्व विवेचन, बोधकथा, मनन सूत्र, वेद गंगाजल, अनुभूत ज्ञान सूत्र, कार्टून और बहुत कुछ सार्थक ज्ञान को पाने के लिए इस ब्‍लॉग पर आते हैं। ज्ञान ही सच्चा मित्र है और कठिन परिस्थितियों में से बाहर निकाल लेने में समर्थ है। अत: निरन्‍तर ब्‍लॉग पर आईए और अपनी टिप्‍पणी दीजिए। आपकी टिप्‍पणी ही हमारे परिश्रम का प्रतिफल है।

गुरुवार, अगस्त 05, 2010

डेंगू रोग व निदान -डॉ. सत्येन्द्र तोमर



डेंगू बुखार को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं। इस बुखार में अस्थियों, उनकी सन्धियों में तीव्र वेदना एवं बुखार होता है। यह स्टेगोमिया फेसियाटा नामक मच्छर के काटने से मनुष्य के शरीर में कीटाणुओं का संक्रमण होन से दण्डक ज्वर होता है।
इन कीटाणुओं का प्रभाव रस, रक्त, लसीका, यकृत, प्लीहा तथा लसिका ग्रन्थियों पर पड़ता है।
रोग के लक्षण
इस रोग के आक्रमण पर निम्न लक्षण मिलते हैं-
1. ज्वर कुछ घंटों में ही 104 फारनहॉईट तक चढ़ जाता है।
2. इसमें ज्वर चढ़ता है और उतर जाता है, परन्तु पुनः चढ़ जाता है।
3. प्रायः सात दिन में ज्वर ठीक हो जाता है।
4. हाथ, पैर, सिर, कमर तथा आंखों में तीव्र पीड़ा होती है।
5. शरीर पर छोटे व गुलाबी रंग के दानें हो जाते हैं तथा अपने आप शान्त हो जाते हैं।
6. नाड़ी मन्द चलती है।
7. दुर्बलता, निद्रा नाश, क्षुधा नाश आदि लक्षण भी पाये जाते हैं।
8. यह रोग आसाम, बंगाल, मद्रास तथा मुंबई में अधिक पाया जाता है।
रोग की चिकित्सा
इस रोग के लक्षण जब मिल जाएं तो इस प्रकार औषधि सेवन करना चाहिए-
1. विषम ज्वरान्तक लौह, त्रिभुवन कीर्ति रस, शुष्ठी, श्रृंग, शतावरी, आरोग्यवर्धिनी के सेवन से लाभ होता है।
2. चन्द्र प्रभावटी, आम पाचनवटी तथा गुग्गुल का प्रयोग भी कर सकते हैं।
3. रोगी को पूर्ण आराम तथा लघु व पौष्टिक आहार देना चाहिए।
4. हिंगुलेश्वर रस 120मिग्रा. और शुष्ठी चूर्ण 360ग्राम मिलाकर दिन में चार बार गर्म पानी से देना चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्‍पणी देकर अपने विचारों को अभिव्‍यक्‍त करें।

पत्राचार पाठ्यक्रम

ज्योतिष का पत्राचार पाठ्यक्रम

भारतीय ज्योतिष के एक वर्षीय पत्राचार पाठ्यक्रम में प्रवेश लेकर ज्योतिष सीखिए। आवेदन-पत्र एवं विस्तृत विवरणिका के लिए रु.50/- का मनीऑर्डर अपने पूर्ण नाम व पते के साथ भेजकर मंगा सकते हैं। सम्पर्कः डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर' ज्योतिष निकेतन 1065/2, शास्त्री नगर, मेरठ-250 005
मोबाईल-09719103988, 01212765639, 01214050465 E-mail-jyotishniketan@gmail.com

पुराने अंक

ज्योतिष निकेतन सन्देश
(गूढ़ विद्याओं का गूढ़ार्थ बताने वाला हिन्दी मासिक)
स्टॉक में रहने तक मासिक पत्रिका के 15 वर्ष के पुराने अंक 3600 पृष्ठ, सजिल्द, गूढ़ ज्ञान से परिपूर्ण और संग्रहणीय हैं। 15 पुस्तकें पत्र लिखकर मंगा सकते हैं। आप रू.3900/-( डॉकखर्च सहित ) का ड्राफ्‌ट या मनीऑर्डर डॉ.उमेश पुरी के नाम से बनवाकर ज्‍योतिष निकेतन, 1065, सेक्‍टर 2, शास्‍त्री नगर, मेरठ-250005 के पते पर भेजें अथवा उपर्युक्त राशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट नं. 32227703588 डॉ. उमेश पुरी के नाम में जमा करा सकते हैं। पुस्तकें रजिस्टर्ड पार्सल से भेज दी जाएंगी। किसी अन्य जानकारी के लिए नीचे लिखे फोन नं. पर संपर्क करें।
ज्‍योतिष निकेतन, मेरठ
0121-2765639, 4050465 मोबाईल: 09719103988

विज्ञापन