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शनिवार, जून 12, 2010
संगठन -ज्ञानेश्वर
एक व्यक्ति सन्यासी के पास आकर बोला-'महाराज! आमदनी कम है, बच्चे भूखें मरते हैं।'
सन्यासी ने पूछा-'बच्चे क्या करते हैं?'
व्यक्ति बोला-'क्या वे किसी के नौकर हैं जो कुछ करेंगे?'
सन्यासी बोले-'भाई घर का बोझ उठाने के लिए अपनी-अपनी स्थिति के अनुसार सभी को कुछ न कुछ करना चाहिए। अकेले काम कैसे चलेगा?'
सन्यासी की बात सुनकर व्यक्ति सन्तुष्ट होकर चला गया। कुछ दिन बाद फिर आया और साथ में भेंट भी लाया। सन्यासी के चरणों में रखकर बोला-'महाराज! अब एक बच्चा जानवर चराता है, दूसरा खेती करता है, स्त्री भी काम में हाथ बटाती है। किसी तरह की कमी नहीं है। सब ठीक चल रहा है।'
सन्यासी बोले-'वत्स संगठन व सहकारिता से हर स्थिति में मनुष्य धन्य बनता है। जिस घर में सब लोग मिलकर परिश्रम करते हैं उन्हें कभी भी तंगी नहीं आती है। संगठन व सहकारिता में कमी आते ही सब समाप्त हो जाता है।
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