मनो में हार्दि यच्छ।-यजुर्वेद 6.21
हार्दिक सद्भावों से युक्त मन हमें दो।
जब हार्दिक सद्भावों से युक्त मन होता है तो सहकारिता आ जाती है। ऐसे में सम भावना व सहयोग की भावना आ जाती है। इससे संगठन बनते हैं और समाज का हित होता है। एक व्यक्ति विशेष का न होकर एक समूह का विकास होता है। यह सब सहकारिता व संगठन से ही सम्भव है।
सम विचार सम भाव से सजे मन, विकास से मिल जाए उत्तम धन॥
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