यदि आप कर्ण अर्थात् कान की पीड़ा से परेशान हैं और आपको असहनीय दर्द हो रहा है तो आप इस मन्त्र प्रयोग से अपनी पीड़ा से मुक्ति पा सकते हैं। इस मन्त्र को इष्ट देव के समक्ष 101 बार जाप करें। भोजपत्र पर अनार की कलम से इस मन्त्र को अष्टगन्ध से लिखकर ताबीज में डालकर गले में धारण करने से कर्ण विकार दूर हो जाएगा और कर्णपीड़ा से मुक्ति मिल जाएगी। यह प्रयोग अनुभूत है, इसे प्रयोग में लाकर आप भी लाभ उठाएं एवं परिचितों को भी लाभ दिलाएं। मन्त्र इस प्रकार है-
ऊँ द्वां द्वारवासिनीभ्याम नमः
पत्राचार पाठ्यक्रम
ज्योतिष का पत्राचार पाठ्यक्रम
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पुराने अंक
ज्योतिष निकेतन सन्देश
(गूढ़ विद्याओं का गूढ़ार्थ बताने वाला हिन्दी मासिक)
स्टॉक में रहने तक मासिक पत्रिका के 15 वर्ष के पुराने अंक 3600 पृष्ठ, सजिल्द, गूढ़ ज्ञान से परिपूर्ण और संग्रहणीय हैं। 15 पुस्तकें पत्र लिखकर मंगा सकते हैं। आप रू.3900/-( डॉकखर्च सहित ) का ड्राफ्ट या मनीऑर्डर डॉ.उमेश पुरी के नाम से बनवाकर ज्योतिष निकेतन, 1065, सेक्टर 2, शास्त्री नगर, मेरठ-250005 के पते पर भेजें अथवा उपर्युक्त राशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट नं. 32227703588 डॉ. उमेश पुरी के नाम में जमा करा सकते हैं। पुस्तकें रजिस्टर्ड पार्सल से भेज दी जाएंगी। किसी अन्य जानकारी के लिए नीचे लिखे फोन नं. पर संपर्क करें।
ज्योतिष निकेतन, मेरठ
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