यह जान लें कि हीट स्ट्रोक गर्मी में होने वाला घातक विकार है। इससे हजारों की संख्या में लोग मौत के मुहं में चले जाते हैं। ऐसा होता है कि जब बाहरी तापमान बहुत बढ़ जाता है और शरीर उसका सामना नहीं कर पाता तो
वह निर्बल होकर घुटने टेक देता है। इस रोग में तुरन्त उचित उपचार देकर पीड़ित को बचाया जा सकता है।
हीट स्ट्रोक के लक्षण
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति का बदन तेज बुखार में तपने लगता है। त्वचा गर्म, शुष्क और लाल हो जाती है। पसीना आना बन्द हो जाता है। सांस तेज हो जाती है। दौरे पड़ सकते हैं। बेहोशी छा जाती है। यही बेहोशी कुछ घंटो में कोमा का रूप ले लती है। समय पर उपयुक्त उपचार न मिलने पर हृदय, गुर्दे या मस्तिष्क कार्य करना बन्द कर देता है। इसलिए समय रहते तुरन्तर उपचार कराना चाहिए।
ऐसे में क्या करें?
इस रोग में पहली आवश्यकता पीड़ित के शरीर का तापमान कम करना है। उसे छाया में ले जाएं। पंखे, कूलर या एसी वाले स्थान में लिटा दें। पीड़ित पर ठंडा पानी लगातार डालें। यहां तक उसे गीली ठंडी चादर में लपेट दें। थोड़ी-थोड़ी देर में तापमान की जांच करते रहें। जब तापमान घटकर 38डिग्री सेल्सियस पहुंच जाए तो शरीर पर ठंडा पानी डालना बन्द कर दें।
रक्त संचरण सुधारने का प्रयास करना चाहिए। पीड़ित व्यक्ति के पैर उठाकर धड़ से ऊपर ले जाएं इससे पांव की शिराओं में रुका रक्त हृदय में लौट सकेगा। रक्त संचार बेहतर हो सकेगा। इस प्रक्रिया में रोगी के पैर रगड़ना भी लाभकारी होता है।
यदि आप तत्काल कुछ नहीं कर सकते हैं तो पीड़ित व्यक्ति को तुरन्त अस्पताल ले जा सकते हैं। वहां नस में डैक्सट्रॉस सेलाइन का ड्रिप लगवा सकते हैं। इससे शरीर में नमक और पानी की कमी पूरी हो जाएगी और रोगी को कोई खतरा नहीं रहेगा।
इस रोग से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि यह स्थिति आने ही न दें। जहां तक हो सके तो गर्मी से बचें। इससे बचने के लिए कूलर, पंखे व एसी का प्रयोग करें अथवा पानी को अधिक से अधिक पिएं।
गर्मी में वैसे भी रस व अधिक जलीय फल होते हैं उनका सेवन अधिक से अधिक करें। अधिक से अधिक पानी, सलाद एवं फल का सेवन अवश्य करें।
यह रोग मुख्यतः अधिक गर्मी के कारण होता है इसलिए इससे बचने का सबसे सरल उपाय गर्मी से बचना है और कड़ी धूप से स्वयं को बचाकर रखें।
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