यह जान लें कि चन्द्र, मंगल व गुरु स्पष्ट का योग राश्यांश क्षेत्र स्पष्ट होता है और सूर्य, शुक्र व गुरु स्पष्ट का योग राश्यांश बीज स्पष्ट होता है। यदि राश्यांश 12 से अधिक हो तो 12 घटा लेना चाहिए।
क्षेत्र सम राशि व सम नवांश में हो तो स्त्री की प्रजनन क्षमता अच्छी होती है, यदि विषम राशि व विषम नवांश हो तो प्रजनन क्षमता का अभाव होता है एवं सम राशि व विषम नवांश हो तो प्रजनन क्षमता मध्यम होती है।
इसी प्रकार बीज सम राशि व सम नवांश में हो तो पुरुष में प्रजनन क्षमता का अभाव होता है, यदि विषम राशि व विषम नवांश हो तो प्रजनन क्षमता उत्तम होती है एवं सम राशि व विषम नवांश हो तो प्रजनन क्षमता मध्यम होती है।
बीज विषम व क्षेत्र सम हो तो अविलम्ब सन्तान हो, बीज सम व क्षेत्र विषम हो तो सन्तान का अभाव, यदि बीज व क्षेत्र पर पापप्रभाव, राहु, शनि, मान्दि, नपुंसक ग्रह हों तो सन्तान प्रतिबंधक योग होता है।
आप प्रजनन क्षमता किसी भी कुण्डली में विचारकर जान सकते हैं कि है या नहीं।
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