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रविवार, मई 09, 2010

गौरी पूजा -व्रतानन्द शास्त्री



    इस लेख में गौरी पूजा की चर्चा करेंगे इसके करने से समस्त बाधाओं से मुक्ति मिलती है और गौरी की कृपा से मनोकांक्षा पूर्ण होती है। जिनका विवाह नहीं होता है उन्हें पार्वती जी की कृपा से अच्छा वर मिलता है। आईए इसके विषय में जानें।
गौरी पूजा
वैशाख शुक्ल तृतीया को गौरी पूजा की जाती है। इस दिन पार्वती जी का प्रीति पूर्वक पूजन करके धातु या मिट्टी के कलश में जल, फल, पुष्प, गन्ध, मिल और अन्न भरकर मन्त्रा बोलकर विप्र को दान करना चाहिए। 
मन्त्र इस प्रकार है-

एष धर्मघटो दत्तो ब्रह्मविष्णुशिवात्मकः। अस्य प्रदानात्सकला मम सन्तु मनोरथाः॥ 
    
   मन में काई भी मनोरथ हो उसका संकल्प कर लेना चाहिए। यह पूजा से पूर्व करें। पार्वती जी की कृपा से समस्त मनोरथ पूर्ण होते हैं और सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। अधूरे कार्य पूर्ण होते हैं। यदि विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो भी इस पूजा को अवश्य करें। बाधा दूर होकर विवाह शीघ्र होगा। इस पूजा को आप भी करें और मिलने जुलने वालों को भी प्रेरित कर लाभ पहुंचाएं। 

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