जब भी मन में यह प्रश्न उठे कि किस ग्रह का उपाय करें तो इस लेख को पढ़ लीजिए, आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा।
उपाय के विषय में समझने से पूर्व सर्वप्रथम यह जान लें कि नैसर्गिक रूप में ग्रहों के पास अपना बल कितना है-सूर्य, चन्द्र, शुक्र, गुरु, बुध, मंगल एवं शनि उत्तरोत्तर कम बली हैं। सूर्य का ६० कला बल है, चन्द्र का ५१.४३ कला बल है, शुक्र का ४२.८५ कला बल है, गुरु का ३४.२८ कला बल है, बुध का २५.७ कला बल है, मंगल का १७.१४ कला बल है और शनि का ८.५७ कला बल होता है।
अब यह जान लीजिए कि कौन सा ग्रह किसका दोष शमन करता है-
-राहु का दोष बुध शमन करता है।
-राहु और बुध का दोष शनि शमन करता है।
-राहु, बुध और शनि का दोष मंगल शमन करता है।
-राहु, बुध, शनि और मंगल का दोष शुक्र शमन करता है।
-राहु, बुध, शनि, मंगल और शुक्र का दोष गुरु शमन करता है।
-राहु, बुध, शनि, मंगल, शुक्र और गुरु का दोष चन्द्र शमन करता है।
-राहु, बुध, शनि, मंगल, शुक्र, गुरु और चन्द्र का दोष सूर्य शमन करता है।
अब यह जान लीजिए कि किस ग्रह के साथ किसका बल बढ़ता है-
-सूर्य के साथ शनि का बल बढ़ता है।
-चन्द्र के साथ शुक्र का बल बढ़ता है।
-मंगल के साथ बुध का बल बढ़ता है।
-बुध के साथ चन्द्र का बल बढ़ता है।
-गुरु के साथ चन्द्र का बल बढ़ता है।
-शुक्र के साथ बुध का बल बढ़ता है।
-शनि के साथ मंगल का बल बढ़ता है।
अतः स्पष्ट है मंगल दूसरे भाव में, बुध चतुर्थ भाव में, गुरु पंचम भाव में, शुक्र छठे भाव में, शनि सातवें भाव में, अरिष्टकारक या विफल होते हैं।
-चन्द्रमा सूर्य के साथ विफल रहता है।
-शनि अष्टम भाव में मनोकांक्षा पूर्ण करता है।
-राहु-केतु तृतीय, छठे व एकादश भाव में अरिष्ट का नाश करता है।
उपाय किस ग्रह का करें?
प्रायः त्रिकोण भाव १, ५ एवं ९ के स्वामी ग्रह शुभ अर्थात् कारक ग्रह होते हैं। इनके स्वामियों को बल अवश्य प्रदान करना चाहिए। कुंडली के सर्वाधिक शुभग्रह का उपाय निरन्तर करना चाहिए, क्योंकि प्रत्येक ग्रह किसी न किसी ग्रह के दोषों को दूर करता है। यह ऊपर बता चुके हैं।
एक उदारहण देकर बताते हैं कि किस ग्रह का उपाय करना चाहिए। एक जातक का जन्म २५.९.१९६८ में १२.३० दोपहर में लालसोट में हुआ था। जातक की कुंडली यहां अंकित है।
जातक की कुंडली के त्रिकोणेश गुरु, मंगल एवं सूर्य हैं। सूर्य केतु से ग्रसित है और राहु से दृष्ट है इसलिए इसका उपाय नहीं करना चाहिए। दूसरा लग्नेश गुरु नवम भाव में मंगल के साथ स्थित है, इसको बल प्रदान करना चाहिए। जातक को गुरु मन्त्र, पुखराज या सुनहला अवश्य धारण करना चाहिए। तीसरा त्रिकोणेश मंगल है जोकि गुरु के साथ नवम भाव में स्थित है। जातक को मूंगा भी धारण करना चाहिए। जातक को हनुमान उपासना एवं सूर्य को जल अर्पण करना चाहिए।
उक्त उपाय को करने से ऐसा करने से गुरु राहु, बुध, शनि, मंगल और शुक्र का दोष शमन करेगा एवं मंगल भी राहु, बुध एवं शनि का दोष शमन करेगा।
इसके अतिरिक्त राहु व शनि की वस्तुओं का दान करना चाहिए। शनि के लिए छायादान भी कर सकते हैं। अथवा शनि की वस्तुओं का मंदिर में दान करके ईश्वर से अपनी गलतियों की क्षमा मांग सकते हैं।
ऐसा करने से कुंडली के दोष भंग होंगे और जीवन में उन्नति, यश एवं धन की प्राप्ति होगी।
इस प्रकार आप अपनी कुंडली के उपाय किस ग्रह का करें यह निश्चय कर सकते हैं। आप अपने मिलने वालों, मित्रों एवं परिचितों की कुंडली देखकर निश्चय कर सकते हैं कि किस ग्रह का उपाय करें।
(यह लेख ज्योतिष निकेतन सन्देश अप्रैल २०१० के अंक से साभार प्रस्तुत है। अधिक जानकारी एवं लेखों के लिए पत्रिका पढ़ें और इसके सदस्य बनें।)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी देकर अपने विचारों को अभिव्यक्त करें।