नए रूप रंग के साथ अपने प्रिय ब्‍लॉग पर आप सबका हार्दिक स्‍वागत है !

ताज़ा प्रविष्ठियां

संकल्प एवं स्वागत्

ज्योतिष निकेतन संदेश ब्लॉग जीवन को सार्थक बनाने हेतु आपके लिए समर्पित हैं। आप इसके पाठक हैं, इसके लिए हम आपके आभारी रहेंगे। हमें विश्‍वास है कि आप सब ज्योतिष, हस्तरेखा, अंक ज्योतिष, वास्तु, अध्यात्म सन्देश, योग, तंत्र, राशिफल, स्वास्थ चर्चा, भाषा ज्ञान, पूजा, व्रत-पर्व विवेचन, बोधकथा, मनन सूत्र, वेद गंगाजल, अनुभूत ज्ञान सूत्र, कार्टून और बहुत कुछ सार्थक ज्ञान को पाने के लिए इस ब्‍लॉग पर आते हैं। ज्ञान ही सच्चा मित्र है और कठिन परिस्थितियों में से बाहर निकाल लेने में समर्थ है। अत: निरन्‍तर ब्‍लॉग पर आईए और अपनी टिप्‍पणी दीजिए। आपकी टिप्‍पणी ही हमारे परिश्रम का प्रतिफल है।

मंगलवार, मई 25, 2010

क्या आप प्रेम विवाह करेंगे?-पं.चैतन्य(भाग-1)



आज के आधुनिक एवं भौतिक युग में स्त्री और पुरुष का मिलन बार-बार होता है जिस कारण प्रेम-विवाह होना आम बात हो गई है। आज इस बात की चर्चा करेंगे कि कहीं आप प्रेम-विवाह तो नहीं करेंगे। इस तथ्य का ज्ञान आप अपनी कुण्डली से जान सकते हैं।
प्रेम विवाह कब होता है?
ज्योतिष के अनुसार कुण्डली का सातवां भाव पत्नी या पति का है। शुक्र ग्रह यौन क्रिया का स्वामी है, मंगल उत्साह व उत्तेजना का, गुरु योजना बनाने वाला है और चन्द्रमा मन, भावना व इच्छा शक्ति का स्वामी है। इन चारों का प्रभाव सामाजिक स्तर पर प्रणय योग का उद्भव करता है। यदि इन चारों पर पापग्रहों की दृष्टि या युति न हो तो स्वजाति, धर्म, सम्प्रदाय में प्रेम विवाह होता है। 
लेकिन लग्न-लग्नेश, धन व धनेश, पंचम व पंचमेश, नवम व नवमेश, लाभ भाव व लाभेश, अष्टमेश से युति सम्बन्ध या शनि, राहु, केतु व बली चन्द्रमा व गुरु से सम्बन्ध हो तो प्रेम विवाह अवश्य होता है।
प्रेम विवाह के अनुभूत योग
यहां प्रेम विवाह कराने वाले अनुभूत योगों की चर्चा करते हैं। इन योगों में से एक या एक से अधिक योग हो तो जातक या जातिका प्रेम विवाह करते हैं। अनुभूत प्रेम विवाह योग इस प्रकार हैं-
1. सप्तमेश शनि से युत या दृष्ट हो या शुक्र नवम भाव में हो तो जातक के प्रेम विवाह होने की सम्भावना रहती है।
2. राहु सप्तमेश एवं शुक्र से युति या दृष्टि सम्बन्ध बनाए तो प्रेम विवाह होता है।
3. सप्तमेश एकादश भाव में और एकादशेश सप्तम भाव में स्थित हो तो भी प्रेम विवाह होता है।
4. मंगल सप्तमेश व लग्नेश के साथ युति करे तो भी प्रेम विवाह की सम्भावना बनती है।
5. लग्नेश सप्तम भाव में स्थित हो और उस पर चन्द्र की दृष्टि पड़े तो प्रेम विवाह होता है।
6. मंगल-शनि की युति भी प्रेम विवाह के लिए प्रेरित करती है। यदि मंगल लग्नेश होकर तीसरे भाव में हो और शनि से दृष्ट हो तो अन्तर्जातीय विवाह होने की सम्भावना बनती है। यदि इस स्थिति में उच्च के गुरु की दृष्टि पड़े तो प्रेम होने पर भी प्रेम विवाह नहीं हो पाता है।
7. लग्न में चन्द्र-शुक्र की युति हो और शुक्र का शनि या राहु से युति या दृष्टि सम्बन्ध बने एवं दूसरा भाव पापग्रह पीड़ित हो तो जातक जातीय परम्पराओं को त्याग कर प्रेम विवाह करता है।
8. कर्क लग्न में सातवें चन्द्र हो और शनि से दृष्ट हो तो जातक अन्तर्जातीय विवाह करता है जोकि सफल नहीं होता है।
9. कर्क लग्न में शनि हो व लग्नेश निर्बल होकर बारहवें हो, एकादशेश चौथे भाव में नवमेश के साथ युति करे, द्वितीयेश, द्वादशेश व तृतीयेश के साथ पंचम भाव में युति करे तो जातक-जातिका जाति का भेदभाव न करके कुल परम्परा त्याग कर विवाह करती है। यह योग सोनिया गांधी की कुण्डली में विद्यमान है।
10. शुक्र सप्तमेश व लग्नेश से युति या दृष्टि सम्बन्ध बनाए तो प्रेम विवाह होने की सम्भावना बनती है।
11. मंगल, शुक्र एवं लग्नेश परस्पर सम्बन्ध बनाएं तो जातक-जातिका प्रेम विवाह करते हैं।
12. शनि पर मंगल व राहु का प्रभाव हो और चन्द्रमा मध्य में आ जाए तो प्रेम विवाह होता है।
13. सप्तमेश स्वराशि में स्थित हो तो प्रेम विवाह होता है।
14. शुक्र-राहु की युति सप्तम भाव में हो तथा सप्तमेश बलहीन हो तो जातक-जातिका के सामूहिक अर्थात्‌ कई जगह प्रेम सम्पर्क होते हैं। 
15. नवम और सप्तम भाव का सम्बन्ध पापग्रहों से हो तथा नवमेश का सम्बन्ध भी पापग्रहों से हो तो जातक प्रेम विवाह के लिए धर्म तक बदल लेता है। 
16. राहु या केतु लग्न में उच्च या स्वराशि में हो तो जातक -जातिका प्रेम विवाह करते हैं।
17. द्वादश भाव में मंगल-शुक्र की युति हो तथा बली गुरु व चन्द्रमा की दृष्टि पड़े तो प्रेम विवाह होगा या गुप्त सम्बन्ध बना रहेगा।
18. यदि सप्तमेश एवं शुक्र शनि या राहु से युत अथवा दृष्ट हों तो भी प्रेम विवाह होता है।
19. यदि केतु शुक्र या सप्तमेश से सम्बन्ध बनाए तो गुप्त प्रेम सम्बन्ध आगे चलकर प्रेम विवाह में बदल जाता है। 
20. यदि शनि-केतु की युति सप्तम भाव में हो तो जातक -जतिका प्रेम विवाह करते हैं।
21. मंगल-शनि या मंगल-शुक्र या शनि-शुक्र की युति हो तो जातक-जातिका प्रेम विवाह करते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्‍पणी देकर अपने विचारों को अभिव्‍यक्‍त करें।

पत्राचार पाठ्यक्रम

ज्योतिष का पत्राचार पाठ्यक्रम

भारतीय ज्योतिष के एक वर्षीय पत्राचार पाठ्यक्रम में प्रवेश लेकर ज्योतिष सीखिए। आवेदन-पत्र एवं विस्तृत विवरणिका के लिए रु.50/- का मनीऑर्डर अपने पूर्ण नाम व पते के साथ भेजकर मंगा सकते हैं। सम्पर्कः डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर' ज्योतिष निकेतन 1065/2, शास्त्री नगर, मेरठ-250 005
मोबाईल-09719103988, 01212765639, 01214050465 E-mail-jyotishniketan@gmail.com

पुराने अंक

ज्योतिष निकेतन सन्देश
(गूढ़ विद्याओं का गूढ़ार्थ बताने वाला हिन्दी मासिक)
स्टॉक में रहने तक मासिक पत्रिका के 15 वर्ष के पुराने अंक 3600 पृष्ठ, सजिल्द, गूढ़ ज्ञान से परिपूर्ण और संग्रहणीय हैं। 15 पुस्तकें पत्र लिखकर मंगा सकते हैं। आप रू.3900/-( डॉकखर्च सहित ) का ड्राफ्‌ट या मनीऑर्डर डॉ.उमेश पुरी के नाम से बनवाकर ज्‍योतिष निकेतन, 1065, सेक्‍टर 2, शास्‍त्री नगर, मेरठ-250005 के पते पर भेजें अथवा उपर्युक्त राशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट नं. 32227703588 डॉ. उमेश पुरी के नाम में जमा करा सकते हैं। पुस्तकें रजिस्टर्ड पार्सल से भेज दी जाएंगी। किसी अन्य जानकारी के लिए नीचे लिखे फोन नं. पर संपर्क करें।
ज्‍योतिष निकेतन, मेरठ
0121-2765639, 4050465 मोबाईल: 09719103988

विज्ञापन