आज के आधुनिक एवं भौतिक युग में स्त्री और पुरुष का मिलन बार-बार होता है जिस कारण प्रेम-विवाह होना आम बात हो गई है। आज इस बात की चर्चा करेंगे कि कहीं आप प्रेम-विवाह तो नहीं करेंगे। इस तथ्य का ज्ञान आप अपनी कुण्डली से जान सकते हैं।
प्रेम विवाह के अनुभूत योग
यहां प्रेम विवाह कराने वाले अनुभूत 21 योगों की चर्चा पूर्व अंक में कर चुके हैं। अब अन्य योगों की चर्चा करते हैं। इन योगों में से एक या एक से अधिक योग हो तो जातक या जातिका प्रेम विवाह करते हैं। शेष अनुभूत प्रेम विवाह योग इस प्रकार हैं-
22. सप्तमेश मंगल या राहु के साथ हो तथा शुक्र से दृष्ट हो या शुक्र से किसी भी प्रकार संबंध हो तो प्रेम विवाह होता है।
23. शुक्र मिथुन राशि में हो और मंगल से युत या दृष्ट हो व लग्नेश व सप्तमेश से दृष्ट या युत हो तो जातक दूसरा प्रेम विवाह करता है।
24. लग्नेश का पंचमेश, सप्तमेश या भाग्येश से संबंध हो।
25. लग्नेश क्षीण होकर सातवें हो, सप्तमेश पंचम भाव में शत्रुक्षेत्री होकर पंचमेश से दृष्ट हो तो प्रेम विवाह होता है।
26. यदि एकादश भाव में पापग्रह का प्रभाव न हो।
27. यदि सप्तमेश राहु से युत होकर पांचवे हो और एकादश शुक्र से दृष्ट हो तो प्रेम विवाह होता है।
28. पंचमेश व सप्तमेश की युति हो तो प्रेम विवाह होता है।
29. अष्टमेश और लाभेश लग्न में हो एवं लग्नेश नीच का राहु से युत हो व पंचमेश व धनेश शुक्र को देखे तो प्रेम विवाह होगा।
30. सप्तमेश व नवमेश की युति प्रेम विवाह कराती है।
31. चतुर्थ भाव में राहु और दसवें पंचमेश होकर शत्रुक्षेत्रीय सप्तमेश पर दृष्टि डाले तो प्रेम विवाह होता है।
32. लग्न में मंगल, सप्तमेश छठे हो, आठवें या बारहवें भाव में होकर बली चन्द्र या गुरु से युत या दृष्ट हो तो प्रेम विवाह होगा।
33. शुक्र सप्तम में सप्तमेश से युति करे तो प्रेमविवाह होगा।
34. राहु, शनि या केतु का सम्बन्ध सप्तम भाव या सप्तमेश से हो तो प्रेम विवाह होगा।
35. चन्द्र लग्न में लग्नेश के साथ हो तो प्रेम विवाह होगा।
36. राहु, शनि या केतु का सम्बन्ध लग्न या लग्नेश से हो।
37. चन्द्र सप्तम भाव में सप्तमेश से युत हो।
38. राहु, केतु, शनि का पंचमेश व सप्तमेश से संबंध हो।
39. शुक्र लग्न में या चन्द्रमा से पंचम हो।
40. अष्टमेश लग्न या सप्तम में हो तथा शनि, राहु या केतु से युत या दृष्ट हो तो जातक विवाहोपरान्त दूसरी स्त्री से प्रेम विवाह करता है।
41. लग्नेश षष्ठ भाव में सप्तमेश के साथ पापग्रह से प्रभावित हो तो जातक प्रेम विवाह करता है।
42. मंगल पंचम भाव में पंचमेश के साथ हो।
43. द्वितीयेश, पंचमेश एवं एकादशेश परस्पर युत या दृष्ट हों।
44. लग्नेश सप्तम में व सप्तमेश लग्न में हो। प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी की कुण्डली में यह योग था।
45. मंगल सप्तम भाव में सप्तमेश के साथ हो।
46. धनेश व पंचमेश छठे भाव में शनि, राहु या केतु से दृष्ट हो तो प्रेम विवाह होता है।
47. शुक्र लग्न में लग्नेश के साथ हो तो प्रेम विवाह होगा।
48. सप्तमेश शुभग्रहों से युत होकर नीच या शत्रु राशि में हो व लग्नेश या गुरु की युति या दृष्टि हो तो जातक पहली पत्नी की मृत्यु के उपरान्त प्रेम विवाह करता है।
चारों उदाहरण कुंडलियां में प्रेमविवाह योग स्पष्ट हैं और सफल प्रेम विवाह किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी देकर अपने विचारों को अभिव्यक्त करें।