प्रायः सुनने में आता है कि जातक का चन्द कष्ट दे तो उसे अन्यन्त मानसिक और शारीरिक व्याधियां झेलनी पड़ती हैं। माता को कष्ट या माता के सुख से वंचित रहना पड़ता है। चन्द्रमा के कुप्रभाव को दूर करने के अनुभूत उपाय दे रहे हैं जिनको करके आप और अपने मिलने वालों को लाभ पहुंचा सकते हैं। ये उपाय अत्यन्त प्रभावी और अनुभूत हैं।
चन्द्र का कुप्रभाव दूर करने के अनुभूत उपाय
कुण्डली में चन्द्र कुप्रभाव दे रहा हो और अपने कुप्रभाव से अत्यन्त कष्ट दे रहा हो तो इनमें से अपने उपाय ढूंढकर करेंगे तो लाभ होगा। अनुभूत उपाय इस प्रकार हैं-
चन्द्रमा के शुभफल में वृद्धि करने के लिए माता के चरण छूकर आशीर्वाद लें। दूध, पानी व दहीं को न बेचें न दान दें वरना परिवार में अशुभता रहेगी। शुद्ध चांदी के बर्तन में चावल भरकर रखने से चन्द्रमा के शुभफल में वृद्धि होती है।
यदि चन्द्रमा पहले भाव में हो और कुप्रभाव करे तो माता का सम्मान करने एवं उसे पास रखने से कुफल नहीं मिलता है। पच्चीस से पूर्व विवाह न करें। चांदी के बर्तन में दूध पीना लाभदायी है। चांदी के बर्तन में टोटी नहीं होनी चाहिए। मुफ्त कुछ न लें।
दूसरे भाव का चन्द्रमा कुफल करे तो जातक को चन्द्र की वस्तुएं चावल व चांदी को स्थापित करना चाहिए। बहते दरिया का पानी चांदी के बर्तन में भरकर घर में रखना चाहिए। घर को सम्पूर्ण रूप से पक्का न करें और थोड़ा कच्चा अवश्य रखें।
यदि तीसरे भाव का चन्द्रमा कुप्रभाव करे तो चन्द्रमा की वस्तुएं दान में दें और कन्याओं की सेवा करें। घर की स्त्रियों की सेवा करने से भी कुफल दूर होता है। लाल कपड़ा दान देना या कन्याएं जिमाने से भी कुफल दूर होता है।
यदि चौथे भाव का चन्द्रमा कुप्रभाव दे तो 43 दिन बिना नागा कन्याओं को हरे कपड़े दान में दें। मिट्टी के बर्तन में दूध भरकर रखने से कुफल में कमी आती है। दूध की वस्तुएं बेचने का कार्य न करे या हलवाई का कार्य न करे।
यदि पांचवे भाव का चन्द्रमा कुप्रभाव दे तो दूजों से दुर्व्यवहार न करें और न किसी को हानि पहुंचाएं, यदि ऐसा करेंगे तो आपके ईर्ष्यालु बढ़ जाएंगे और आपका अहित करते रहेंगे। गाली न दें। मंदा न बोलें, ढिंढोरा न पीटें, भेद न खोलें।
छठे भाव का चन्द्रमा कुप्रभाव दे तो मंगल, गुरु एवं सूर्य की वस्तुएं मन्दिर जाकर दान में दें। लेकिन सूर्यास्त के बाद दूध कदापि न लें। दूजों का भला न करें। प्याऊ या नल न लगवाएं। कुआं न खुदवाएं। धर्म स्थान पर माथा टेकना चाहिए। गुड़ व गेहूँ का मन्दिर में दान लाभदायी है।
आठवें भाव का चन्द्र कुप्रभाव और कुफल दे तो जातक को निम्न उपाय करने चाहिएं-
1. श्मशान घाट में लगे नल या वहां के कुएं से बोतल में जल भरकर ले आएं और घर पर रखेंगे तो इस कुफल से मुक्ति मिलेगी।
2. दूध का दान दें। इससे स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा।
3. बड़ों के पैर छूकर नित्य आशीर्वाद लें।
4. चन्द्रमा की वस्तुएं चावल व चांदी सुरक्षित रखने से आयु में वृद्धि होती है।
नौवें भाव का चन्द्र कुफल दे तो जातक को भला करे ओर दूजों का पालन करे तो कुफल न होकर विशेष बरकत होगी। लेकिन 24 से 27 वर्ष की अवस्था में माता को नेत्रा कष्ट अवश्य होगा।
दसवें भाव का चन्द्र कुप्रभाव और कुफल दे तो जातक को रात्रि में दूध नहीं पीना चाहिए और दुधारू पशु नहीं पालने चाहिएं।
एकादश भाव का चन्द्र कुप्रभाव और कुफल दे तथा माता को अधिक तंग करे तो जातक की माता को अपनी आंखें और सिर दूध से धोने चाहिएं अथवा भैरों मन्दिर में जाकर दूध चढ़ाना चाहिए अथवा 121 पेड़े बच्चों मे बांटने चाहिएं और यदि बच्चे न मिलें तो पेड़ों को तेज बहते जल में बहाना चाहिए।
चन्द्रमा एकादश भाव में हो तथा जातक की पत्नी गर्भ से हो और प्रसव होने वाला हो तो जातक की माता को घर छोड़कर अलग रहना चाहिए और प्रसव के बाद 43 दिन तक बच्चे का मुख नहीं देखना चाहिए।
बारहवें भाव में चन्द्र हो और गोचर वश भी बारहवें हो तो ऐसा चन्द्रमा अधिक कुफल करता है इससे बचने के लिए जातक को मन्दिर में दर्शन करने जाना चाहिए, केसर का तिलक लगाना चाहिए और मन्दिर में चने की दाल दान करनी चाहिए।
यहां दिए गए उपाय स्वयं न कर सकें तो जातक के लिए उपाय वह कर सकता है जिसका उससे रक्त का संबंध हो।
उपाय सूर्योदय के उपरान्त एवं सूर्यास्त से पूर्व ही करना लाभदायी है।
कोई भी उपाय बिना नागा 43 दिन करने से अधिक लाभ होगा और कुफल से मुक्ति मिलेगी।
ये उपाय अनुभूत और प्रभावी हैं, आप भी लाभ उठाएं।
यदि आप चाहेंगे तो आपके उपयोग के लिए सभी ग्रह के उपायों की चर्चा यहां करेंगे। इसलिए टिप्पणी अवश्य करें जिससे सभी ग्रहों के उपायों की लेखमाला तैयार करायी जा सके।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी देकर अपने विचारों को अभिव्यक्त करें।