नए रूप रंग के साथ अपने प्रिय ब्‍लॉग पर आप सबका हार्दिक स्‍वागत है !

ताज़ा प्रविष्ठियां

संकल्प एवं स्वागत्

ज्योतिष निकेतन संदेश ब्लॉग जीवन को सार्थक बनाने हेतु आपके लिए समर्पित हैं। आप इसके पाठक हैं, इसके लिए हम आपके आभारी रहेंगे। हमें विश्‍वास है कि आप सब ज्योतिष, हस्तरेखा, अंक ज्योतिष, वास्तु, अध्यात्म सन्देश, योग, तंत्र, राशिफल, स्वास्थ चर्चा, भाषा ज्ञान, पूजा, व्रत-पर्व विवेचन, बोधकथा, मनन सूत्र, वेद गंगाजल, अनुभूत ज्ञान सूत्र, कार्टून और बहुत कुछ सार्थक ज्ञान को पाने के लिए इस ब्‍लॉग पर आते हैं। ज्ञान ही सच्चा मित्र है और कठिन परिस्थितियों में से बाहर निकाल लेने में समर्थ है। अत: निरन्‍तर ब्‍लॉग पर आईए और अपनी टिप्‍पणी दीजिए। आपकी टिप्‍पणी ही हमारे परिश्रम का प्रतिफल है।

गुरुवार, अप्रैल 29, 2010

जाप में माला की उपयोगिता-बाबा ज्ञानदेव तपस्वी




माला का प्रयोग जाप करने के लिए होता है। जाप किसी भी प्रकार का हो उसमें माला की आवश्यकता पड़ती है। 
माला बिना जाप निष्फल होता है!
अंगिरा स्मृति में वर्णित है-बिना दर्भेश्च यत्कृत्यं यच्च दानं विनोद-कम्‌। असंख्यया तु यत्‌ जप्तं तत्सर्व निष्फलं भवेद। अर्थात्‌ बिना कुशा के धर्म व अनुष्ठान, बिना जल स्पर्श के दान तथा बिना माला के संख्याहीन जो जप आदि होते हैं, वे सब निष्फल होते हैं। 
माला से जाप करने से जाप संख्या का ठीक-ठीक ज्ञान होता है। माला के मनके स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से जड़ी-बूटियों की लकड़ी से बनाए जाते हैं। माला को पवित्र समझा जाता है। 
माला से जाप करने से विलक्षण ऊर्जा उत्पन्न होती है!
यह जान लें कि अंगूठे व अंगुली के परस्पर संघर्ष से एक विलक्षण विद्युत उत्पन्न होती है जो धमनी के द्वारा सीधा हृदय चक्र को प्रभावित करती है जिससे मन एकाग्र हो जाता है।
माला के प्रकार व उपयोगिता
प्रायः तुलसी, चन्दन, शंख, कमलाक्ष, रूद्राक्ष, हरिद्रा, कुशा, मूंगे, सर्प अस्थियों आदि से माला को बनाया जाता है। 
कुशा की माला समस्त पाप का नाश करती है और वंश वृद्धि करती है। जायफल की माला पुत्र प्रदान करती है। मूंगे की माला धनदायक होती है। कमलाक्ष की माला शत्रुनाशक  होती है। हरिद्रा की माला समस्त विनों को दूर करती है। मारण प्रयोग में तामसिक हड्डी आदि क्रूर पदार्थों से बनी माला का प्रयोग होता है। कौड़ियां, छोटे शंख व शिरस के बीजों से बनी माला दमा, कफ के विकारों को दूर करती है। 
माला से विभिन्न प्रकार की तरंगे उत्पन्न होती हैं!
जाप करते समय माला घुमाते समय तर्जनी अंगुली से जाप नहीं किया जाता है क्योंकि ईश्वर का निवास प्राणी के हृदय में है। हृदय को प्रभावित करने के लिए मध्यमिका अंगुली से ही जाप करना चाहिए क्योंकि इस अंगुली के द्वारा हृदय का सीधा सम्बन्ध होता है। माला के मनकों को अंगूठे के द्वारा आगे या पीछे चलाया जाता है। अंगूठे व मध्यमा अंगुली के संघर्ष से जो विद्युत उत्पन्न होगी, वह सात्विक , राजसिक व तामसिक तीन प्रकार की ऊर्जा होती है। माला में सुमेरू को लांघा नहीं जाता है। बल्कि माला को पलट लिया जाता है। 
यह जान लें कि तुलसी की माला से सावत्त्वक तरंगे उत्पन्न होती हैं जोकि व्यक्ति को शान्त, एकाग्र एवं ध्यान में लीन करती हैं। रूदाक्ष की माला से राजसिक तरंगे उत्पन्न होती है जो आयुवर्धक हैं। हड्डी आदि क्रूर पदार्थों से बनी माला तामसिक तरंगे उत्पन्न करती है जोकि क्रूरता, हिंसा, उच्चाटन, मारण आदि को नष्ट करती है।
गले में इडा, पिंगल एवं सुषुम्ना तीनों नाडियां सहस्रार चक्र तक अपना प्रभाव रखती हैं। आज्ञा चक्र पर तीनों नाड़ियां सत्‌-रज-तम्‌  नामक ऊर्जा उत्पन्न करती हैं।
माला के 108 मनकों से जाप करने से साधक बाहरी बाधाओं से रक्षित होता है।  उपांशु जप करने से गले की धमनियों को अधिक श्रम करना पड़ता है। इसके कारण गले के विभिन्न रोगों थायरायड, टांसिल, गलगण्ड आदि से बचाव होता है।
नाभि से नीचे का भाग दक्षिणायन तथा ऊपर का भाग उत्तरायण कहलाता है। माला धारण करने से व्यक्ति उत्तरोत्तर ऊर्जामयी तेजस मन्त्र शक्ति से उत्तरायण की ओर गति करता है। वह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण मंडल को भेदता हुआ उर्ध्वागमन करता है।

1 टिप्पणी:

  1. मुझे सर्प अस्थिमाला चाहिये,कहां,किससे संपर्क करूं? आप बताने का कष्ट करेगें? मोबाइल नम्बर-9039179668

    जवाब देंहटाएं

टिप्‍पणी देकर अपने विचारों को अभिव्‍यक्‍त करें।

पत्राचार पाठ्यक्रम

ज्योतिष का पत्राचार पाठ्यक्रम

भारतीय ज्योतिष के एक वर्षीय पत्राचार पाठ्यक्रम में प्रवेश लेकर ज्योतिष सीखिए। आवेदन-पत्र एवं विस्तृत विवरणिका के लिए रु.50/- का मनीऑर्डर अपने पूर्ण नाम व पते के साथ भेजकर मंगा सकते हैं। सम्पर्कः डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर' ज्योतिष निकेतन 1065/2, शास्त्री नगर, मेरठ-250 005
मोबाईल-09719103988, 01212765639, 01214050465 E-mail-jyotishniketan@gmail.com

पुराने अंक

ज्योतिष निकेतन सन्देश
(गूढ़ विद्याओं का गूढ़ार्थ बताने वाला हिन्दी मासिक)
स्टॉक में रहने तक मासिक पत्रिका के 15 वर्ष के पुराने अंक 3600 पृष्ठ, सजिल्द, गूढ़ ज्ञान से परिपूर्ण और संग्रहणीय हैं। 15 पुस्तकें पत्र लिखकर मंगा सकते हैं। आप रू.3900/-( डॉकखर्च सहित ) का ड्राफ्‌ट या मनीऑर्डर डॉ.उमेश पुरी के नाम से बनवाकर ज्‍योतिष निकेतन, 1065, सेक्‍टर 2, शास्‍त्री नगर, मेरठ-250005 के पते पर भेजें अथवा उपर्युक्त राशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट नं. 32227703588 डॉ. उमेश पुरी के नाम में जमा करा सकते हैं। पुस्तकें रजिस्टर्ड पार्सल से भेज दी जाएंगी। किसी अन्य जानकारी के लिए नीचे लिखे फोन नं. पर संपर्क करें।
ज्‍योतिष निकेतन, मेरठ
0121-2765639, 4050465 मोबाईल: 09719103988

विज्ञापन