शेयर या सट्टा
जन्मकुंडली से यह भली-भांति विचार कर लेना चाहिए कि सट्टा, लॉटरी या शेयर्स से लाभ है या नहीं। किसी योग्य ज्योतिष को कुंडली दिखाकर यह विचार कर लेना चाहिए कि इस क्षेत्रा से लाभ की संभावना है या नहीं।यहां शेयर या सट्टे से लाभ प्राप्ति के योग बता रहे हैं। यदि ये योग आपकी कुण्डली में हैं तो आप इस क्षेत्र में लाभ उठा सकते हैं। ये योग इस प्रकार हैं-
१. जन्म या चन्द्र लग्न से ३, ६, १०, ११वें भाव में शुभ ग्रह स्थित हों और नवमेश केन्द्र या त्रिकोण में हो तो जातक अचानक शेयर, सट्टे या लॉटरी से धनलाभ करता है।
२. यदि १, २, ५, ९, १० या ११वें भाव से इनका योग बने-
- धनेश और लग्नेश
- धनेश और लाभेश
- भाग्येश और दशमेश
- धनेश और पंचमेश
तो जातक शेयर, लॉटरी एवं सट्टे से लाभ उठाता है।
३. मीन लग्न में पांचवें बुध या एकादश में शनि हो तो लॉटरी, शेयर या सट्टे से लाभ होता है।
४. मेष लग्न में चौथे गुरु, सातवें शनि, आठवें शुक्र, नौवें गुरु एवं दसवें मंगल के साथ पांचवे चन्द्र हो तो जातक शेयर, सट्टे या लाटरी से लाभ उठाता है।
५. केन्द्र भाव १, ४, ७, १० में शुभ ग्रह बलवान होकर बैठा हो तो शेयर या सट्टे से लाभ होता है।
६. लग्नेश पंचम भाव में गुरु के साथ स्थित हो तो जातक अनायास धन पाता है।
७. पंचम भाव में चन्द्र हो और शुक्र उसे देख रहा हो तो भी जातक को अचानक धन का लाभ होता है।
८. सिंह लग्न में बली चन्द्र एवं सातवें भाव में शनि हो तथा एकादश भाव में गुरु व मंगल की युति हो तो जातक शेयर, सट्टे या लॉटरी से अकस्मात् धनलाभ करता है।
९. कर्क लग्न में आठवें भाव में बुध ग्रह शुक्र के साथ युति करे एवं किसी शुभ भाव में चन्द्र-मंगल की युति हो तो जातक अचानक शेयर, सट्टे या लॉटरी से धन पाता है।
१०. यदि कुंडली में पंचमेश व लग्नेश की युति हो अथवा लग्नेश बली हो तथा साथ में राहु व बुध कारक हों तो जातक अचानक धनलाभ करता है।
११. यदि कुंडली में दो ग्रहों की युति में पांच अंश से अल्प अन्तर हो तो अचानक धनलाभ होता है।
१२. लग्न से पहले, दूसरे, पांचवे, सातवें, आठवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में दो ग्रहों की युति हो तो जातक शेयर, सट्टे या लॉटरी से धनार्जन करता है। लेकिन ध्यान रखें कि दो से अधिक ग्रहों की युति नहीं होनी चाहिए।
१३. द्वितीयेश एवं एकादशेश की युति चौथे भाव में हो चतुर्थेश शुभ ग्रहों से युत या दृष्ट हो तो जातक को शेयर, सट्टे या लॉटरी से अचानक धनलाभ होता है।
१४. तात्कालिक रूप से भी आप जान सकते हैं कि आपको धनलाभ होगा या नहीं। इसके लिए प्रश्न कुंडली बना लें और विचार कर लें। कुछ योग बता रहे हैं जिन्हें विचारना चाहिए-
-प्रश्न कुंडली में लग्नेश, धनेश व चन्द्र का शुभ योग है तो धन मिलेगा। लेकिन यह ध्यान रखें कि चौथे भाव से आगे चन्द्रमा हो तो धन कठिनता से वापस मिलता है।
- शेयर क्रय-विक्रय करते समय द्वितीयेश व लग्नेश का विचार करना चाहिए। द्वितीयेश व लग्नेश का चन्द्र से सम्बन्ध अथवा चन्द्र का लग्न या द्वितीय भाव में होना लाभदायी है।
- घाटे की स्थिति जानने के लिए अष्टम एवं द्वादश भाव का विचार करना चाहिए। अष्टम या द्वादश भाव में शुभ ग्रह या अष्टमेश व द्वादशेश हों या उनमें परस्पर स्थान परिवर्तन हो तो हानि का योग होता है। धन की क्षतिपूर्ति होगी या नहीं इसमें चन्द्र की भूमिका सर्वोपरि है। चन्द्र व लग्नेश या कार्येश से जितनी निकटता होगी क्षतिपूर्ति उतनी अधिक होगी।
-लाभ व हानि का विचार करने के लिए पंचम, अष्टम, दशम एवं एकादश भाव का विचार करना चाहिए। उक्त भावों में पक्षबली चन्द्र, शुक्र और बुध पर पापग्रह की दृष्टि लाभ के संकेत देती है। लेकिन यह ध्यान रखें कि इस पर शुभग्रह गुरु की दृष्टि विशेष लाभदायी नहीं होती है।
- लाभ के लिए लग्नेश व लाभेश की स्थिति का विचार करना चाहिए। दोनों का परस्पर योग या संबंध लाभ का संकेत देता है।
ये योग प्रश्न कुंडली में विचारने चाहिएं। यदि ये गोचर में लग्न व चन्द्र दोनों से बली हों तो शतप्रतिशत अचूक फल निकलता है।
यदि आप शेयर, लॉटरी या सट्टे से धनार्जन करना चाहते हैं तो आपको उक्त योगों को अपनी कुंडली में खोजना होगा। जितने अधिक योग आपकी कुंडली में होंगे उतना अधिक आप इस क्षेत्रा में सफलता प्राप्त कर सकेंगे।
बिना विचारे शेयर बाजार में हाथ न अजमाएं। यहां शेयर, लॉटरी या सट्टे अथवा अचानक धनलाभ के योग समझा दिए गए हैं। इनको अपनी कुंडली में विचारें। यदि आपको विचारना नहीं आता है तो किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लें।
आप क्या हर कोई जानता है कि आजकल शेयर-सट्टा भी धनार्जन के लिए होता है। लेकिन यह ध्यान रखें कि प्रत्येक व्यक्ति न शेयर क्रय कर सकता है और न सट्टा खेल सकता है। प्रत्येक व्यक्ति की लॉटरी भी नहीं निकल सकती है। जो लोग बिना सोचे-समझे इस क्षेत्र में हाथ अजमाते हैं वे धनहानि के बाद पछताते हुए कहते हैं-अच्छा ही था कि शेयर न खरीदता या सट्टा न खेलता। मेरा तो दिमाग ही भटक गया था। हानि के बाद जितने मुंह उतनी बातें होने लगती हैं।
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