नए रूप रंग के साथ अपने प्रिय ब्‍लॉग पर आप सबका हार्दिक स्‍वागत है !

ताज़ा प्रविष्ठियां

संकल्प एवं स्वागत्

ज्योतिष निकेतन संदेश ब्लॉग जीवन को सार्थक बनाने हेतु आपके लिए समर्पित हैं। आप इसके पाठक हैं, इसके लिए हम आपके आभारी रहेंगे। हमें विश्‍वास है कि आप सब ज्योतिष, हस्तरेखा, अंक ज्योतिष, वास्तु, अध्यात्म सन्देश, योग, तंत्र, राशिफल, स्वास्थ चर्चा, भाषा ज्ञान, पूजा, व्रत-पर्व विवेचन, बोधकथा, मनन सूत्र, वेद गंगाजल, अनुभूत ज्ञान सूत्र, कार्टून और बहुत कुछ सार्थक ज्ञान को पाने के लिए इस ब्‍लॉग पर आते हैं। ज्ञान ही सच्चा मित्र है और कठिन परिस्थितियों में से बाहर निकाल लेने में समर्थ है। अत: निरन्‍तर ब्‍लॉग पर आईए और अपनी टिप्‍पणी दीजिए। आपकी टिप्‍पणी ही हमारे परिश्रम का प्रतिफल है।

गुरुवार, मई 05, 2011

व्‍यक्तित्‍व को निखारे लें!

                   


        व्‍यक्तित्‍व भी सफलता दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। व्‍यक्तित्‍व को निखार लेना चाहिए। लेकिन कैसे? यह तब तक आप नहीं जान पाएंगे जब तक आप अपने त्रियामी व्‍यक्तित्‍व को नहीं जान लेते।
    आप स्‍वयं को एक समझते हैं, पर हैं आप तीन? चौंक गए न! चौंकिए मत।
    आप त्रिआयामी है।
    एक आयाम है-जैसा आप स्‍वयं को समझते हैं!
    दूसरा आयाम है-जैसा लोग आपको समझते हैं!
    तीसरा आयाम है-जैसे आप वास्‍तव में हैं!
    तब तक आप सुख, शान्ति और सफलता नहीं पा सकेंगे जब तक आप भ्रम में हैं और अपने आपको स्‍वयं से भिन्‍न समझते रहेंगे।  आप वास्‍तव में क्‍या हैं? यह जानना अनिवार्य है। इसे जाने बिना आपका व्‍यक्तित्‍व निखर ही नहीं सकता। व्‍यक्तित्‍व में निखार ही आपको सफल बना देगा।
    यदि आप प्रतिदिन आत्‍म विश्‍लेषण करते रहेंगे तो आपको यह ज्ञात हो जाएगा कि आप क्‍या है?
    दूसरों की कमियों को सहन कर लीजिए पर उन्‍हें ग्रहण न कीजिए या अपनी कमियों को दूर कीजिए।
    व्‍यक्तित्‍व में सच्‍चा निखार तभी आता है जब आप उसे अन्‍त: या आत्‍मा से बदलते हैं।
    दूसरों का अनुकरण करने की अपेक्षा जो आप को भाता है और आपके व्‍यक्तित्‍व के अनुकूल है उसे ग्रहण कीजिए। अपनी आदतों में वो सब शामिल करना चाहिए जो आपके विचारों के अनुकूल हो, ऐसा करने से व्‍यक्तित्‍व में निखार आता है।
    आप जो वास्‍तव में हैं वैसे ही बन सकते हैं और दूजों का अन्‍धानुकरण सदैव आपके व्‍यक्तित्‍व को आकर्षणहीन बनाता है।
    हृदय से सदैव सरल रहें क्‍योंकि इससे व्‍यक्तित्‍व में निखार आता है।
    अज्ञान को दूर करने के लिए ज्ञान बढ़ाएं क्‍योंकि अज्ञान से भय आता है जबकि ज्ञान से विश्‍वास। अत: ज्ञान बढ़ाएं और उसे व्‍यवहार में लाएं।
    सामाजिक बनें! समाज सेवा का अवसर न गवाएं। अभिव्‍यक्ति के अवसर मिलते हैं। आप में सहनशीलता आती है और आप व्‍यवहार कुशल बनते हैं। अन्‍तत: प्रतिफल में व्‍यक्तित्‍व में निखार आता है।
    व्‍यक्तित्‍व का निर्माण और विकास हो जाने पर सफलता का मार्ग प्रशस्‍त होता है। उन्‍नति के संग यशस्‍वी बनते हैं और सब आपकी प्रतिभा के कायल बन जाते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्‍पणी देकर अपने विचारों को अभिव्‍यक्‍त करें।

पत्राचार पाठ्यक्रम

ज्योतिष का पत्राचार पाठ्यक्रम

भारतीय ज्योतिष के एक वर्षीय पत्राचार पाठ्यक्रम में प्रवेश लेकर ज्योतिष सीखिए। आवेदन-पत्र एवं विस्तृत विवरणिका के लिए रु.50/- का मनीऑर्डर अपने पूर्ण नाम व पते के साथ भेजकर मंगा सकते हैं। सम्पर्कः डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर' ज्योतिष निकेतन 1065/2, शास्त्री नगर, मेरठ-250 005
मोबाईल-09719103988, 01212765639, 01214050465 E-mail-jyotishniketan@gmail.com

पुराने अंक

ज्योतिष निकेतन सन्देश
(गूढ़ विद्याओं का गूढ़ार्थ बताने वाला हिन्दी मासिक)
स्टॉक में रहने तक मासिक पत्रिका के 15 वर्ष के पुराने अंक 3600 पृष्ठ, सजिल्द, गूढ़ ज्ञान से परिपूर्ण और संग्रहणीय हैं। 15 पुस्तकें पत्र लिखकर मंगा सकते हैं। आप रू.3900/-( डॉकखर्च सहित ) का ड्राफ्‌ट या मनीऑर्डर डॉ.उमेश पुरी के नाम से बनवाकर ज्‍योतिष निकेतन, 1065, सेक्‍टर 2, शास्‍त्री नगर, मेरठ-250005 के पते पर भेजें अथवा उपर्युक्त राशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट नं. 32227703588 डॉ. उमेश पुरी के नाम में जमा करा सकते हैं। पुस्तकें रजिस्टर्ड पार्सल से भेज दी जाएंगी। किसी अन्य जानकारी के लिए नीचे लिखे फोन नं. पर संपर्क करें।
ज्‍योतिष निकेतन, मेरठ
0121-2765639, 4050465 मोबाईल: 09719103988

विज्ञापन