शरीर की कोशिकाओं में पाए जाने वाला पॉजिटिव ऑयन पोटैशियम है। यह एक अवयव है और इलैक्ट्रॉलाइट भी है। यह शारीरिक विकास और उसके रख-रखाव के लिए आवश्यक है। शरीर की कोशिकाओं एवं द्रव्य के मध्य में पानी की नियत मात्रा बनाए रखने हेतु यह आवश्यक है। मांसपेशियों का संकुचन एवं तंत्रिकाओं में उत्तेजना के लिए भी यह आवश्यक है। कोशिकाओं में स्थित एंजाइम्स के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए भी यह आवश्यक है।
प्रायः सोडियम के स्तर के साथ-साथ पोटैशियम का स्तर भी बदलता रहता है। जब शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ती है तो पोटैशियम का स्तर कम हो जाता है। इसी प्रकार जब पोटैशियम की मात्रा बढ़ती है तो सोडियम का लेवल कम हो जाता है।
पोटैशियम का स्तर कई कारणों से प्रभावित होता है, जैसे किडनी किस प्रकार से काम कर रही है, रक्त में इसकी कितनी मात्रा है, इसकी कितनी मात्रा खाने के साथ ले रहे हैं, शरीर का हॉरमोन स्तर क्या है, अधिक उल्टी होना, कुछ खास औषधि के साथ पोटैशियम की गोलियां लेना। कैंसर के रोगियों में पौटैशियम का स्तर बढ़ सकता है।
यह जान लें कि आलू, अंजीर, केला, आलूबुखारा, संतरा और शरबत में भी इसकी मात्रा काफी होती है। संतुलित आहार में प्रर्याप्त मात्रा में पौटैशियम होता है। प्रायः मूत्र के साथ पौटैशियम की मात्रा शरीर से बाहर निकलती है। रक्त में इसकी मात्रा कम हो तो मूत्र के द्वारा यह शरीर से बाहर निकल जाता है। ऐसे में शरीर में इसकी मात्रा और भी कम हो जाती है।
शरीर में पोटैशियम का स्तर बहुत अधिक हो या बहुत कम दोनों ही स्थिति में हानिकारक है। कोशिकाओं के सामान्य रूप से कार्य करने के लिए इसकी नियत मात्रा आवश्यक है। विशेष रूप से हृदय की धड़कनों को सामन्य रखने व मांसपेशियों का कार्य सुचारू रूप से करने में अधिक सहायक है। इसके शरीर में कम या अधिक हो जाने से हृदय, मांसपेशियों या तंत्रिकाओं सम्बन्धी समस्या आती है। इसकी मात्रा में जल्दी-जल्दी परिवर्तन मृत्यु का कारण भी बन सकता है। पौटैशियम के बढ़ने को हाइपर- कैलीमिया और कम होने को हाइपोकैलीमिया कहते हैं।
रक्त में पोटैशियम की नियत मात्रा 35से50 एमईक्यू प्रति लीटर होती है। इसका स्तर नियत न होने पर मांसपेशियों में संकुचन या कमजोरी, भूख न लगने, डायरिया, जल्दी-जल्दी पेशाब आना, शरीर में पानी की कमी या डीहाइड्रेशन, निम्नरक्तचाप, चिड़चिड़ापन, लकवा, हृदय से जुड़ी समस्या आ जाती है।
इसके लिए अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और पौटैशियम के स्तर की जांच करा लेनी चाहिए। इससे कई रोगों की चिकित्सा में सहायता मिलती है। किडनी के रोगियों को तो यह जांच अवश्य करानी चाहिए। इसके अतिरिक्त अन्य इलेक्ट्रोलाइटस सोडियम, कैल्शियम, क्लोराइड की भी जांच होती है।
प्रायः सोडियम के स्तर के साथ-साथ पोटैशियम का स्तर भी बदलता रहता है। जब शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ती है तो पोटैशियम का स्तर कम हो जाता है। इसी प्रकार जब पोटैशियम की मात्रा बढ़ती है तो सोडियम का लेवल कम हो जाता है।
पोटैशियम का स्तर कई कारणों से प्रभावित होता है, जैसे किडनी किस प्रकार से काम कर रही है, रक्त में इसकी कितनी मात्रा है, इसकी कितनी मात्रा खाने के साथ ले रहे हैं, शरीर का हॉरमोन स्तर क्या है, अधिक उल्टी होना, कुछ खास औषधि के साथ पोटैशियम की गोलियां लेना। कैंसर के रोगियों में पौटैशियम का स्तर बढ़ सकता है।
यह जान लें कि आलू, अंजीर, केला, आलूबुखारा, संतरा और शरबत में भी इसकी मात्रा काफी होती है। संतुलित आहार में प्रर्याप्त मात्रा में पौटैशियम होता है। प्रायः मूत्र के साथ पौटैशियम की मात्रा शरीर से बाहर निकलती है। रक्त में इसकी मात्रा कम हो तो मूत्र के द्वारा यह शरीर से बाहर निकल जाता है। ऐसे में शरीर में इसकी मात्रा और भी कम हो जाती है।
शरीर में पोटैशियम का स्तर बहुत अधिक हो या बहुत कम दोनों ही स्थिति में हानिकारक है। कोशिकाओं के सामान्य रूप से कार्य करने के लिए इसकी नियत मात्रा आवश्यक है। विशेष रूप से हृदय की धड़कनों को सामन्य रखने व मांसपेशियों का कार्य सुचारू रूप से करने में अधिक सहायक है। इसके शरीर में कम या अधिक हो जाने से हृदय, मांसपेशियों या तंत्रिकाओं सम्बन्धी समस्या आती है। इसकी मात्रा में जल्दी-जल्दी परिवर्तन मृत्यु का कारण भी बन सकता है। पौटैशियम के बढ़ने को हाइपर- कैलीमिया और कम होने को हाइपोकैलीमिया कहते हैं।
रक्त में पोटैशियम की नियत मात्रा 35से50 एमईक्यू प्रति लीटर होती है। इसका स्तर नियत न होने पर मांसपेशियों में संकुचन या कमजोरी, भूख न लगने, डायरिया, जल्दी-जल्दी पेशाब आना, शरीर में पानी की कमी या डीहाइड्रेशन, निम्नरक्तचाप, चिड़चिड़ापन, लकवा, हृदय से जुड़ी समस्या आ जाती है।
इसके लिए अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और पौटैशियम के स्तर की जांच करा लेनी चाहिए। इससे कई रोगों की चिकित्सा में सहायता मिलती है। किडनी के रोगियों को तो यह जांच अवश्य करानी चाहिए। इसके अतिरिक्त अन्य इलेक्ट्रोलाइटस सोडियम, कैल्शियम, क्लोराइड की भी जांच होती है।
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