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गुरुवार, सितंबर 23, 2010

पंचक क्‍या हैं ?



धनिष्‍ठा से रेवती तक के पांच नक्षत्रों (धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उतरा भाद्रपद एवं  रेवती) को  पंचक  कहते   हैं। पंचक का अर्थ ही पांच का नक्षत्रों का समूह है। दूसरे शब्‍दों में कह सकते हैं कि कुम्भ व मीन में जब चन्द्रमा रहते हैं, उस अवधि को पंचक कहते है।
पंचको में पांच वर्जित कार्य
पंचक में पांच कार्य करने सर्वथा वर्जित माने जाते है-
1-इसमें तृण काष्‍ठादि ईंधन एकत्र करना।
2- इसमें दक्षिण दिशा की यात्रा करना।
3-इसमें घर की छत डालना।
4-इसमें चारपाई बनवाना।
5-इसमें शव का अन्तिम संस्कार करना।
उक्‍त पांचों कार्यों को करना शुभ नहीं माना जाता है। ऋषि गर्ग के अनुसार शुभाशुभ जो भी कार्य पंचकों में किया जाता है, वह पांच गुणा करना पडता है। स्‍पष्‍ट है कि इन नक्षत्र समय में इनमें से कोई भी कार्य करने पर, उक्त कार्य को पांच बार दोहराना पड सकता है। कहते हैं कि उक्‍त कार्य करने से धनिष्‍ठा नक्षत्र में  अग्नि का भय रहता है, शतभिषा नक्षत्र में कलह होती है, पूर्वा भाद्रपद में रोग होता है, उतरा भाद्रपद में धन के रूप में दण्‍ड होता है एवं  रेवती में धन की हानि होती है।
वस्‍तुत: पंचक नक्षत्र समयावधि में निम्‍न कार्य नहीं करने चाहिएं-लकडी तोडना, तिनके तोडना, दक्षिण दिशा की यात्रा, प्रेतादि- शान्ति कार्य, स्तम्भारोपन, तृण, ताम्बा, पीतल, लकडी आदि का संचय , दुकान, पद ग्रहण व पद का त्याग करना अशुभ है, मकान की छत, चारपाई, चटाई आदि बुनना भी त्याज्य होता है। विशेष परिस्थितियों में ये कार्य करने आवश्यक हों तो किसी योग्य पंडित से पंचक शान्ति करवा लेने चाहिएं। मुहूर्त ग्रन्थों के अनुसार विवाह, मुण्डन, गृहारम्भ, गृ्ह प्रवेश, वधू- प्रवेश, उपनयन आदि में इस समय का विचार नहीं किया जाता है और रक्षा -बन्धन, भैय्या दूज आदि पर्वों में भी पंचक नक्षत्रों का निषेध के बारे में विचार नहीं किया जाता है।
यदि किसी व्यक्ति की मृत्‍यु पंचक अवधि में हो जाती है तो शव के साथ पांच अन्य पुतले आटे या कुशा से बनाकर अर्थी पर रख दिये जाते है और इन पांचों का भी शव की भांति पूर्ण विधि-विधान से अन्तिम संस्कार किया जाता है। इसी को पिण्‍ड दान कहते हैं। यह इसलिए करते हैं कि परिवार में बाद में और म़त्‍यु न हों।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया और ज्ञानवर्धक जानकारी ........ आभार

    इसे पढ़े, जरुर पसंद आएगा :-
    (क्या अब भी जिन्न - भुत प्रेतों में विश्वास करते है ?)
    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_23.html

    जवाब देंहटाएं
  2. जानकारी के लिए शुक्रिया मगर अब इस बदली हुयी दुनिया में इनका कोई ख़ास औचित्य नहीं रहा !

    जवाब देंहटाएं

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