जो ग्रह नीच राशि में स्थित होते हैं वे नीच के कहलाते हैं।
नीच राशि में स्थित ग्रह विपरीत फल देते हैं।
यहां भंग से तात्पर्य है कि रद्द होना।
कहने का तात्पर्य यह है कि कोई ग्रह नीच का है तो वह कुछ अन्य ग्रहों की स्थिति या उनका नीच ग्रह से दृष्टि सम्बन्ध के कारण नीच क प्रभाव कम हो जाता है।
नीच भंग कैसे होता है?
जन्म पत्री में निम्न स्थितियां देखनी चाहिएं-
1- जिस राशि में ग्रह नीच का होता है वह राशि चन्द्र या लग्न से केन्द्र में हो।
2- जिस राशि में ग्रह नीच का होता है उस राशि में उच्च का होने वाला ग्रह चन्द्र या लग्न से केन्द्र में हो।
3- जिस राशि में ग्रह नीच का होता है उसका स्वामी स्वराशि, उच्च या मूलत्रिकोण में हो या उसकी दृष्टि ग्रह पर पड़ती हो।
उक्त तीन स्थितियां हों तो ग्रह का नीच भंग हो जाता है।
ग्रह का नीच भंग हो जाने पर ग्रह शुभफल देता है।
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