सभी को जन्माष्टमी की ढेरों शुभकामनाओं सहित
संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसने कभी गलती न की हो। गलतियां सभी करते हैं। गलतियां सुधरने का संकेत देती हैं। अतः समझदारी इसी में है कि आप गलतियों से सीखें। ऐसे बहुत से व्यक्ति हैं जो अपनी गलतियों से सीखते हैं। किन्तु बुद्धिमान वही है जो दूसरों की गलतियों से भी सीखे। एक कार्य को बार-बार करने से व्यक्ति उसमें निपुण हो जाता है। अभ्यास से निपुणता आती है। गलती हो जाने पर तनाव में नहीं आना चाहिए या यह नहीं सोचना चाहिए कि अब कुछ नहीं हो सकता है। बल्कि यह विश्लेषण करना चाहिए कि गलती क्यों हुई? गलती सदैव सुधरने का अवसर देती है। जो बार-बार गलती करते हैं वे उस गलती को करने में निपुण हो जाते हैं और करते ही रहते हैं, बाद में निराश होकर पछताते हैं या यह कहने लगते हैं कि मैं तो कुछ कर ही नहीं सकता हूँ। यह ध्यान रखें कि गलती का नहीं, जो सही है उसका अभ्यास करें उससे उसमें निपुणता के साथ-साथ स्वयं का आत्मविश्वास भी बढ़ता है जिसके प्रतिफल में उन्नति का मार्ग ही प्रशस्त होता है। बहुत बार ऐसा होता है कि जब गलती बार-बार होती है तो व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास की अपेक्षा भय का वास हो जाता है, इसी भय के कारण वे कोई भी निर्णय नहीं कर पाते हैं। अनिर्णय की स्थिति में कार्य भी नहीं बनता है और अवसर भी गवां बैठते हैं। ऐसे में उचित यही है कि गलतियों से सीखें और परिस्थितियों का विश्लेषण करके विवेक सम्मत निर्णय लें। जब आप ऐसा करेंगे तो भय आपके पास फटकेगा ही नहीं। यह जान लें कोई भी सफलता आपके उचित निर्णय पर ही निर्भर करती है। जब तक आप अपने द्वारा की गई गलतियों की जिम्मेदारी नहीं लेंगे तब तक उनका एहसास भी आपको नहीं होगा। अतः गलतियों की जिम्मेदारी लें और उनका विश्लेषण करके यह जान लें कि क्या उचित है। यह सदैव गलत है कि गलती हो जाने के बाद उसे न मानना और उसे छिपाने के लिए दूसरों पर दोष लगाना और सदैव भाग्य को या दूजों को दोषी बताना। विश्लेषणात्मक दृष्टि रखेंगे तो गलतियां भी आपको सुधरने का अवसर देंगी और आप उन्नति पथ पर बढ़ने का आत्मविश्वास पा सकेंगे। सफलता सदैव इस बात पर निर्भर करती है कि आप किसकी संगत करते हैं और क्या पढ़ते हैं। सुसंगत और सुस्वाध्याय से व्यक्ति की बुद्धि विश्लेषात्मक हो जाती है जिससे वह सदैव अपनी व दूसरों की गलतियों से सीखता है। समझदार वही है जो गलतियों से सीखकर उचित निर्णय ले और सदैव आगे बढ़ने का प्रयास करें। यह जान लें कि गलतियों की कोख से सफलता का सूत्र निकलता है जो सदैव सुपथ पर अग्रसर करता है और प्रतिफल में सदैव सफलता का वरदान देता है।
गलतियों तो इंसान से होती ही है पर सच यही है जो समझदार वही जो इससे सबक लेकर आगे बढे.. सही कहा आपने ...बहुत अच्छा आलेख
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ