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सोमवार, अगस्त 09, 2010

भावना



1. काम से अधिक काम के पीछे की भावना का महत्व होता है। जो काम शुद्ध हृदय से होता है, वह देखने में छोटा भले ही हो परन्तु उसका फल बड़ा ही महत्वपूर्ण होता है। बड़े से बड़ा कार्य अगर हीन आदर्श लेकर किया जाए तो उसकी कोई बड़ी कीमत नहीं हो सकती है।-राजेन्द्र प्रसाद
2. जहां जैसी हमारी मानसिक भावना रहती है, वहां परमेश्वर हमारे लिए उसी रूप में प्रकट हो जाते हैं।-विनोबा भावे
3. जिन्हके रही भावना जैसी। प्रभु मूरति देखी तिन तैसी॥ -तुलसीदास
4. मन्त्र, तीर्थ, ब्राह्मण, देवता, ज्योतिषी, औषध, और गुरु में जैसी भावना होती है, वैसी ही सिद्धि मिलती है।-पंचतन्त्र
 5. भावना मार भी सकती है, जिला भी सकती है।-कहावत

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