1. क्षमा तपस्वियों का रूप है।-चाणक्य
2. क्षमा तेजस्वी पुरुषों का तेज है, क्षमा तपस्वियों का ब्रह्म है, क्षमा सत्यवादियों का सत्य है। क्षमा यज्ञ है और क्षमा मनोनिग्रह है।-महाभारत
3. क्षमा से बढ़कर और किसी बात में पाप को पुण्य बनाने की शक्ति नहीं है। -जयशंकर प्रसाद
4. जहां दया तहं धर्म है, जहां लोभ तहं पाप। जहां क्रोध तहं काल है, जहां छिमा तहं आप॥-कबीर
5. दुष्टों का बल है हिंसा, राजाओं का बल है दण्ड, स्त्रिायों का बल है सेवा और गुणवानों का बल है क्षमा। -विदुर
6. दो व्यक्ति स्वर्ग पाते हैं-एक तो वह जो ऐश्वर्यशाली होकर भी क्षमावान् हों और दूसरे वह जो दरिद्र होकर भी दानी हों।-महाभारत
7. क्षमा मन का मैल धो देती है।-ज्ञानेश्वर
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