नए रूप रंग के साथ अपने प्रिय ब्‍लॉग पर आप सबका हार्दिक स्‍वागत है !

ताज़ा प्रविष्ठियां

संकल्प एवं स्वागत्

ज्योतिष निकेतन संदेश ब्लॉग जीवन को सार्थक बनाने हेतु आपके लिए समर्पित हैं। आप इसके पाठक हैं, इसके लिए हम आपके आभारी रहेंगे। हमें विश्‍वास है कि आप सब ज्योतिष, हस्तरेखा, अंक ज्योतिष, वास्तु, अध्यात्म सन्देश, योग, तंत्र, राशिफल, स्वास्थ चर्चा, भाषा ज्ञान, पूजा, व्रत-पर्व विवेचन, बोधकथा, मनन सूत्र, वेद गंगाजल, अनुभूत ज्ञान सूत्र, कार्टून और बहुत कुछ सार्थक ज्ञान को पाने के लिए इस ब्‍लॉग पर आते हैं। ज्ञान ही सच्चा मित्र है और कठिन परिस्थितियों में से बाहर निकाल लेने में समर्थ है। अत: निरन्‍तर ब्‍लॉग पर आईए और अपनी टिप्‍पणी दीजिए। आपकी टिप्‍पणी ही हमारे परिश्रम का प्रतिफल है।

गुरुवार, जुलाई 29, 2010

पूजन चर्चा -व्रतानन्द शास्त्री



पूजा से तात्पर्य सम्मान करना, सादर स्वागत करना, आराधना करना, अर्चना करना, पूजा करना, आदर सहित भेंट चढ़ाना। प्राचीनकाल से ही हमें देवार्चन की दो रीतियां ज्ञात हैं-योग और पूजा। 
अग्निहोत्र द्वारा अर्चन करना योग अर्थात्‌ यज्ञ है। यह अनेक के सहयोग से होता है और इसके भी कई भेद हैं सकाम व निष्काम आदि। मन्त्रों व परम्पराओं का एक विशिष्ट क्रम होता है।
पूर्व निश्चित द्रव्यों के साथ देवार्चन को पूजा कहते हैं। पत्र, पुष्प और जल द्वारा अर्चन करना ही पूजा है। पूजा द्वारा मनुष्य निज आराध्य देव को प्रसन्न कर अभिलाषित वर मांगता है। पूजा वैदिक व पौराणिक परिपाटी दो प्रकार से होती है। वैदिक पूजा उनको करनी चाहिए जोकि यज्ञोपवीतधारी द्विज हो। जिनके यज्ञोपवीत न हो उन्हें पौराणिक मन्त्रों द्वारा पूजा करनी चाहिए।
पूजन पंचोपचार, दशोपचार एवं षोडशोपचार होता है। पंचोपचार पूजा गंधाक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेध इन पांच प्रकार के पदार्थों द्वारा की जाती है। दशोपचार पूजा दस उपचारों द्वारा की जाती है जोकि निम्न हैं-पाद्य, अर्य, आचमन, स्नान, वस्त्रा, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य। षोडशोपचार पूजा सोलह उपचारों के साथ की जाती है जोकि निम्न हैं-ध्यान, आवह्‌न, आसन, पाद्य, अर्ध्य, आचमन, स्नान दूध व दही आदि से, वस्त्र, यज्ञोपवीत आभूषण आदि, गंध, पुष्प-पत्र,  धूप, दीप, नैवेद्य में फल, प्रसाद एवं सूखा मेवा आदि, तांबूल, दक्षिणा, नीरांजन, आरती आदि, पुष्पांजलि एवं प्रदिक्षणा व नमस्कार स्तुति आदि।
षोडशोपचार पूजा के अतिरिक्त छत्र, चामर, पादुकादि एवं रत्नों से विविध सामग्री व सज्जा से की गई पूजा राजोपचार कहलाती है।
    पूजा में बासी जल, पत्ते, पुष्प, फल आदि वर्जित हैं। मात्र गंगाजल, तुलसी पत्र, बिल्वपत्र और कमल वर्जित नहीं है। कमल पांच रात, बिल्व दसात, तुलसी ग्यारह रात तक बासी नहीं होते। सड़े, गले कटे असुगंधित पुष्प पूजा के वर्ज्य हैं। घर की मूर्ति 16अंगुल से अधिक नहीं होनी चाहिए। सूर्य, गणपति, देवी, रुद्र और विष्णु शिव पंचायत के नाम से जाने जाते हैं। इन पांचों की पूजा करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्‍पणी देकर अपने विचारों को अभिव्‍यक्‍त करें।

पत्राचार पाठ्यक्रम

ज्योतिष का पत्राचार पाठ्यक्रम

भारतीय ज्योतिष के एक वर्षीय पत्राचार पाठ्यक्रम में प्रवेश लेकर ज्योतिष सीखिए। आवेदन-पत्र एवं विस्तृत विवरणिका के लिए रु.50/- का मनीऑर्डर अपने पूर्ण नाम व पते के साथ भेजकर मंगा सकते हैं। सम्पर्कः डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर' ज्योतिष निकेतन 1065/2, शास्त्री नगर, मेरठ-250 005
मोबाईल-09719103988, 01212765639, 01214050465 E-mail-jyotishniketan@gmail.com

पुराने अंक

ज्योतिष निकेतन सन्देश
(गूढ़ विद्याओं का गूढ़ार्थ बताने वाला हिन्दी मासिक)
स्टॉक में रहने तक मासिक पत्रिका के 15 वर्ष के पुराने अंक 3600 पृष्ठ, सजिल्द, गूढ़ ज्ञान से परिपूर्ण और संग्रहणीय हैं। 15 पुस्तकें पत्र लिखकर मंगा सकते हैं। आप रू.3900/-( डॉकखर्च सहित ) का ड्राफ्‌ट या मनीऑर्डर डॉ.उमेश पुरी के नाम से बनवाकर ज्‍योतिष निकेतन, 1065, सेक्‍टर 2, शास्‍त्री नगर, मेरठ-250005 के पते पर भेजें अथवा उपर्युक्त राशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट नं. 32227703588 डॉ. उमेश पुरी के नाम में जमा करा सकते हैं। पुस्तकें रजिस्टर्ड पार्सल से भेज दी जाएंगी। किसी अन्य जानकारी के लिए नीचे लिखे फोन नं. पर संपर्क करें।
ज्‍योतिष निकेतन, मेरठ
0121-2765639, 4050465 मोबाईल: 09719103988

विज्ञापन