नए रूप रंग के साथ अपने प्रिय ब्‍लॉग पर आप सबका हार्दिक स्‍वागत है !

ताज़ा प्रविष्ठियां

संकल्प एवं स्वागत्

ज्योतिष निकेतन संदेश ब्लॉग जीवन को सार्थक बनाने हेतु आपके लिए समर्पित हैं। आप इसके पाठक हैं, इसके लिए हम आपके आभारी रहेंगे। हमें विश्‍वास है कि आप सब ज्योतिष, हस्तरेखा, अंक ज्योतिष, वास्तु, अध्यात्म सन्देश, योग, तंत्र, राशिफल, स्वास्थ चर्चा, भाषा ज्ञान, पूजा, व्रत-पर्व विवेचन, बोधकथा, मनन सूत्र, वेद गंगाजल, अनुभूत ज्ञान सूत्र, कार्टून और बहुत कुछ सार्थक ज्ञान को पाने के लिए इस ब्‍लॉग पर आते हैं। ज्ञान ही सच्चा मित्र है और कठिन परिस्थितियों में से बाहर निकाल लेने में समर्थ है। अत: निरन्‍तर ब्‍लॉग पर आईए और अपनी टिप्‍पणी दीजिए। आपकी टिप्‍पणी ही हमारे परिश्रम का प्रतिफल है।

शुक्रवार, जुलाई 23, 2010

कन्या के हाथ पीले क्यों?-पं.दयानन्द शास्त्री



     कन्यादान या पाणिग्रहण से भी अधिक महत्व रखता है-कन्या के हाथ पीले करना। लोक चर्चित है कि मेरी कन्या के हाथ पीले हो जाएं तो गंगा नहाऊँ। वास्तव में कन्या का हाथ वर के हाथों में रखने के पूर्व हाथ की हथेलियों में हल्दी लगाई जाती है, इसी को कहते हैं हाथों को पीले करना।
    विवाह को निर्विन पूर्ण करने की शुभ सूचना के रूप में हरिद्रा (हल्दी) गणेश की उपस्थिति मानी जाती है। गणेशके निर्विन रूप का नाम हरिद्रा गणपति है, जिसकी तान्त्रिक पूजा में विशेष महत्व है। हरिद्रा की सैकड़ों गांठों में कभी-कभी गणेश की मूर्ति का चित्र मिल जाता है। यह अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है। दूसरे लक्ष्मी अन्नपूर्णा भी हरिद्रा कहलाती है। जहां लक्ष्मी नहीं हो तो उसे अदरिद्रा कहते हैं। श्री सूक्त में इसका वर्णन है सरस्वती श्वेतवस्त्र, दुर्गा रक्तवस्त्र, लक्ष्मी पीतवस्त्र मानी गई है। हरिद्रा लक्ष्मी स्वरूपा है। दोनों पीतरंग प्रिय है, तभी तो धन-धान्य की समृद्धि एवं निर्विन जीवन के लिए दीपावली के दिन लक्ष्मी विनायक की पूजा की जाती है। हल्दी से हाथ पीले करने का तात्पर्य यह है कि कन्या मातृगृह छोड़कर पतिगृह में गृहलक्ष्मी बनने जा रही है। गुरु नक्षत्रा पीतवर्ण है इसलिए पीत पुखराज पहनने से गुरु ग्रह की कृपा मिलती है। गुरुबल भी हाथ पीले करने से बढ़ता है। वानप्रस्थी सन्त पीतवस्त्र पहनते हैं इसलिए हाथ में पीतरंग लगाने से अभिप्राय है कि मैं गृहस्थाश्रम से वानप्रस्थ आश्रम तक साथ देते हुए सदाचारी सन्त जीवन व्यतीत करूंगी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्‍पणी देकर अपने विचारों को अभिव्‍यक्‍त करें।

पत्राचार पाठ्यक्रम

ज्योतिष का पत्राचार पाठ्यक्रम

भारतीय ज्योतिष के एक वर्षीय पत्राचार पाठ्यक्रम में प्रवेश लेकर ज्योतिष सीखिए। आवेदन-पत्र एवं विस्तृत विवरणिका के लिए रु.50/- का मनीऑर्डर अपने पूर्ण नाम व पते के साथ भेजकर मंगा सकते हैं। सम्पर्कः डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर' ज्योतिष निकेतन 1065/2, शास्त्री नगर, मेरठ-250 005
मोबाईल-09719103988, 01212765639, 01214050465 E-mail-jyotishniketan@gmail.com

पुराने अंक

ज्योतिष निकेतन सन्देश
(गूढ़ विद्याओं का गूढ़ार्थ बताने वाला हिन्दी मासिक)
स्टॉक में रहने तक मासिक पत्रिका के 15 वर्ष के पुराने अंक 3600 पृष्ठ, सजिल्द, गूढ़ ज्ञान से परिपूर्ण और संग्रहणीय हैं। 15 पुस्तकें पत्र लिखकर मंगा सकते हैं। आप रू.3900/-( डॉकखर्च सहित ) का ड्राफ्‌ट या मनीऑर्डर डॉ.उमेश पुरी के नाम से बनवाकर ज्‍योतिष निकेतन, 1065, सेक्‍टर 2, शास्‍त्री नगर, मेरठ-250005 के पते पर भेजें अथवा उपर्युक्त राशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट नं. 32227703588 डॉ. उमेश पुरी के नाम में जमा करा सकते हैं। पुस्तकें रजिस्टर्ड पार्सल से भेज दी जाएंगी। किसी अन्य जानकारी के लिए नीचे लिखे फोन नं. पर संपर्क करें।
ज्‍योतिष निकेतन, मेरठ
0121-2765639, 4050465 मोबाईल: 09719103988

विज्ञापन