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रविवार, जुलाई 11, 2010

पुत्रा एकादशी -व्रतानन्द स्वामी



     पुत्र रत्न की चाह किसी नहीं है। सभी को प्रथम सन्तान पुत्र चाहिए होता है। कहते सभी यही हैं कि लड़का हो या लड़की हमें तो जो हो जाए वही ठीक है। परन्तु मन में उनके चाहत पुत्र पाने की ही छिपी रहती है जोकि वे किसी से कहते नहीं है।
     हमारे देश धर्म से ओतप्रोत है। यहां पर अनेक व्रत ऐसे हैं जिनके करने से मनोकांक्षा पूर्ण होती है। 
व्रत करने का निश्चय और धैर्य होने पर ही इसे नियमानुसार किया जा सकता है।
    श्रावण शुक्ला एकादशी एवं पौष शुक्ला एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन लक्ष्मी जी के पतिदेव श्री विष्णु के नाम पर व्रत रखकर पूजन करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
      यह एकादशी श्रावण शुक्ल पक्ष में पुत्रदा एकादशी के नाम से मनायी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के नाम पर व्रत रखकर पूजा करनी चाहिए।
     तदोपरान्त वेद्पाठी ब्राह्मणों को भोजन कराके दान देकर आशीर्वाद लेना चाहिए। 
    सम्पूर्ण दिन भगवान्‌ के वन्दन और कीर्तन में बिताना चाहिए। रात्रि में भगवान्‌ की मूर्ति के पास ही भूशयन करना चाहिए।
    श्रावण मास की पुत्रदा एकादशी का नियमपूर्वक व्रत रखकर रात्रि जागरण करने से पुत्र अवश्य प्राप्त होता है।
यह जान लें कि इस व्रत को रखने वाले निःसंन्तान व्यक्ति को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।

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