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मंगलवार, जुलाई 06, 2010

धैर्य-ज्ञानेश्वर



    एक बार ईसा मसीह अपने कुछ शिष्यों के साथ एक गांव से गुजर रहे थे। रास्ते में एक स्थान पर दस-ग्यारह छोटे-छोटे गड्ढे खुदे हुए थे। 
     यह देखकर एक शिष्य ने ईसा के सामने अपनी जिज्ञासा रखी-'ये गड्ढे क्यों खोदे गए हैं, प्रभु!'
ईसा ने उत्तर दिया-÷लगता है, किसी व्यक्ति ने पानी की खोज में इतने गड्ढे खोदे हैं। एक गड्ढे में जल न मिलने पर दूसरा गड्ढा खोदा उसमें भी पानी न मिलने पर तीसरा और फिर चौथा। इसी प्रकार एक के बाद एक इतने सारे गड्ढों को खोदता चला गया।'
    शिष्य बोला-'ऐसे में वह थक गया होगा और कहीं आराम करने लगा होगा।'
    ईसा बोले-'जब उसे जल नहीं मिला होगा तो वह थक-हार कर बैठ गया।'
    शिष्य बोला-'ऐसा क्यों हुआ? शायद उसमें धैर्य की कमी होगी।'
   ईसा बोले-'तुम ठीक सोच रहे हो। उसने इतने गड्ढे खोदने में जितना समय लगया, उतना यदि एक ही गड्ढा खोदने में लगाता तो उसे जल अवश्य ही मिल जाता। मनुष्य यदि कोई कार्य करते समय धैर्य भी रखे तो उसे परिश्रम का फल अवश्य मिलेगा।'
    धैर्य सफलता की कुंजी है। मनुष्य जब धैर्यहीन होता है तो वह निरन्तर प्रयास न करके सफलता से पूर्व ही कार्य को करना छोड़ देता है। धैर्यहीन को कदापि सफलता नहीं मिलती है। सफलता के लिए धैर्य का दामन थामना अत्यावश्यक है। परिणाम के पीछे न दौड़ें अपितु उसकी प्रतीक्षा करें।

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