1. आसक्ति ही मनुष्य को नीच और दुर्बल बनाती है।-स्वामी रामतीर्थ
2. आसक्ति हमारे चित्त को विषय में आबद्ध करती है।-ज्ञानेश्वर
3. आसक्ति में मानव अस्थिर, चंचल और चिन्तातुर हो जाता है।-ज्ञानेश्वर
4. यदि तुमने आसक्ति के राक्षस को नष्ट कर दिया है, तो इच्छित वस्तुएं तुम्हारी पूजा करने लगेंगी।-स्वामी रामतीर्थ
5. आसक्ति एकाग्रता में बाधक है जो आसक्ति में रत् नहीं है वही ध्यान मार्ग में सफल है और ईश्वर के प्रति समर्पण भाव रख सकता है।-ज्ञोनश्वर
6. आसक्ति को प्रश्रय नहीं दोगे तो जो चाहोगे वो कर सकोग।-ज्ञोनश्वर
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