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बुधवार, जून 02, 2010

मृत्यु के लक्षण -पं.सत्यज्ञ


     शरीर पंच तत्त्वों से निर्मित है। जब यह समाप्त होने लगता है तो कुछ लक्षण प्रकट होने लग जाते हैं। इन लक्षणों से यह अनुमान होने लगता है कि अब शरीर समाप्त होगा। यहां कुछ लक्षण बता रहे हैं जिनसे आप यह अनुमान लगा सकेंगे कि मृत्यु आने वाली है। यहां जो लक्षण दे रहे हैं वे योगी एवं दण्डी साधूओं के लिए लागू नहीं हैं। यदि अधिक भोजन कर लेने पर, भूतप्रेत की कहानियां पढ़कर यदि स्वप्न दिखाई  दे तो यहां लागू नहीं होंगे। ये लक्षण इस प्रकार हैं-
1. उत्तर दिशा की ओर जाने वाला व्यक्ति भूलवश दक्षिण की ओर चला जाए तो समझना चाहिए कि व्यक्ति की सात माह दस दिन में मृत्यु हो जाएगी।  
2. ललाट पर लगी हुई चन्दन का तिलक छह घंटे तक सूखे ही नहीं तो समझ लो कि मृत्यु निकट है।
3. तालाब में किसी व्यक्ति को अपनी परछाईं बिना सिर के दिखाई दे तो समझ लें कि छह माह में मृत्यु का निमन्त्रण मिलेगा। 
4. आठ पहर तक सूर्य या दाहिना स्वर लगातार चले तो यह समझ लें कि तीन वर्ष तक मृत्यु निश्चित है। यदि यही स्वर 72 घंटे तक चले तो समझ लें कि एक वर्ष तक मृत्यु निश्चित है।
5. यदि कान का भाग थोड़ा ऊंचा हो जाए और नाक का भाग कुछ टेढ़ा हो जाए तो समझ लें कि मृत्यु समीप है। 
6. जो व्यक्ति एक साथ मल-मूत्र एवं अपान वायु का विसर्जन करे तो समझ लें कि उसकी मृत्यु दस दिन में होने वाली है।
7. किसी भी पेड़ के अग्रभाग पर यदि कोई भूत-प्रेत या पिशाच दिखाई दे तो वह व्यक्ति दस माह तक जीवित रहे।
8. प्रातः या सायं मुख में पानी भरकर सूर्य की ओर पीठ कर मुख से पानी फुर्रर कर छोड़े और उस जल बिन्दु में इन्द्रधनुष के रंग न दिखाई दें तो समझ लें कि मृत्यु नौ मास तक में होने वाली है।
9. अंगूठे के नीचे नाड़ी की गति मंद पड़ जाए, हथेलियां लटक  सी जाए, कानों से सुनाई न दे(तीनों एक साथ हो) तो समझ लें मृत्यु समीप है।
10. जो व्यक्ति केवल मुख से श्वास लेता रहे तो समझ लें कि वह एक सप्ताह से अधिक समय नहीं निकालेगा।  
11. सामने खड़े व्यक्ति की आंख का गोल कोर्निया का वृत्त न दिखाई दे तो समझ लें कि वह व्यक्ति थोड़ी देर का मेहमान है।
12. स्तनों की त्वचा शून्य हो जाए तथा कहीं उसे घेरे में दर्द न मालूम हो तो पांच माह का समय अभी और है।
13. कनिष्ठका अंगुली काली पड़ जाए तो समझ लिए कि व्यक्ति 18 दिन ही जीवित रहेगा।
14. आधा शरीर ठंडा और आधा शरीर गर्म हो तो व्यक्ति की मृत्यु सात दिन बाद होगी।
15. भृकुटि नहीं दिखाई दे तो नौ दिन तक जिए, नासाग्र न  दिखाई दे तो तीन दिन जिए, तारे न दिखाई दे तो पांच दिन जिए, जीभ न दिखे तो एक दिन जिए, कान में आवाज न सुने तो सात दिन में व्यक्ति की मृत्यु हो जाए। 
16. स्वप्न में बन्दर या भालू की सवारी दिखाई दे तो मृत्यु समीप समझनी चाहिए।
17. अतुकान्त बोले, ऊटपटांग बड़बड़ावे तो उसके जीने की अवधि छह मास से अधिक नहीं है।
18. ललाट पर, भौहों पर, टखना या जोड़ों पर कहीं पसीना नहीं आता तो समझ लें कि एक महीने से अधिक समय नहीं बचा है।
19. यदि स्वप्न में कोई राक्षस दिखाई दे, लाल कपड़े पहने काली औरत दिखाई दे तो मृत्यु को निकट समझना चाहिए।
20. दायें नेत्र में 16 पंखुड़ी वाला और बाएं नेत्र में बारह पंखुड़ी वाला चन्द्रकमल है। तीन दिन तक कोई पंखुड़ी दिखाई न दे तो समझ लें कि एक दिन में मृत्यु हो जाएगी।
21. रात्रि को स्वच्छ आकाश में ध्रुव का अरुन्धती तारा(सप्तर्षि मंडल में अन्तिम दो तारों के मध्य में)न दिखाई दे तो समझ लें कि मृत्यु एक माह में आने वाली है।
22. अरुन्धती जीभ को भी कहते हैं। एक बन्द आंख से जीभ या नाक का अग्रभाग न दिखाई दे तो समझ लें कि मृत्यु एक माह के भीतर होने वाली है।
23. स्नान के बाद छाती और पैर शीघ्र सूख जाएं तो समझ लें कि व्यक्ति छह माह में मरने वाला है।
24. 22मार्च और 23सितम्बर के दिन जिस व्यक्ति की आंख फड़के तो समझ लें की उसकी मृत्यु आठ प्रहर में होने वाली है।
25. कोई भी व्यक्ति भाद्रपद मास के किसी भी रविवार को यदि कोई व्यक्ति सूर्य का प्रतिबिम्ब उसमें न देख सके तो समझ लें कि व्यक्ति की मृत्यु छह माह में होने वाली है।
यहां मृत्यु के आने के पूर्व के लक्षण दिए गए हैं। इनको पढ़कर भयभीत न हों। ऐसा होने पर ऐसा होता देखा गया है जोकि दूसरों द्वारा अनुभूत है। समझ आए तो विचार कर देखें अन्यथा न समझ आने पर भयभीत न हों।

2 टिप्‍पणियां:

  1. यद्यपि आपने इस संबंध में सभी प्रचलित मान्यताओं को हू-ब-हू रख दिया है,अच्छा होता कि इस संबंध में आंखों देखे तथ्यों को ही रखा जाता। कई बातें हास्यास्पद प्रतीत होती है जिनसे ज्योतिष विधा की वैज्ञानिकता के प्रति संदेह और पुष्ट होता है।

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  2. आयु निर्णय ज्‍योतिष का कठिन विषय है। ये सामान्‍य लक्षण मात्र हैं। आयु का निर्णय जातक की कुण्‍डली देखकर उसका सम्‍यक विश्‍लेषण करके आयुष्‍य सम्‍बन्‍धी योगों का विचार व गणितायु ज्ञातक करने के बाद दशा व अन्‍तर्दशा का विचार करते हुए ही आयु सम्‍बन्‍धी निर्णय लेना चाहिए। प्रत्‍येक दैवज्ञ इसको नजर अन्‍दाज करे बिना यदि ज्‍योतिष से आयु सम्‍बन्‍धी निर्णय लेता है तो वह उचित नहीं है। पाठकों को भी इसी बात का ध्‍यान रखना चाहिए। भविष्‍य में आयु संबंधी योगों की चर्चा करेंगे जिससे पाठकों का सम्‍यक ज्ञान हो। बन्‍धुवर राधारमण जी की टिप्‍पणी का स्‍वागत है, टिप्‍पणी के लिए धन्‍यवाद।-सम्‍पादक

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