स्त्री का जन्म नक्षत्र और उसका फल जानने के लिए सर्वप्रथम उसकी कुण्डली से जन्मनक्षत्र ज्ञात कर लें और फिर अधोलिखित फल को समझना चाहिए। 27 नक्षत्रों का फल इस प्रकार है। 18 नक्षत्रों का फल बता चुके हैं, अब शेष नक्षत्रों के फल की चर्चा करते हैं।
19-मूला नक्षत्र में स्त्री का जन्म हो तो वह अल्प सुखी, विधवा, दरिद्र, रोगिणी, अनेक शत्रुओं से युक्त, बंधुओं से हीन, कुसंगति में रहने वाली एवं शत्रुओं से पीड़ित होती है।
20-पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में स्त्री का जन्म हो तो वह कुटुम्ब में प्रधान, परम्पराओं के अनुकूल चलने वाली, सत्य बोलने वाली, बली, बड़े नेत्रों वाली, सुन्दर, यशस्वी एवं समाज में सर्वप्रिय होती है।
21-उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में स्त्री का जन्म हो तो वह सुन्दर, अग्रणी, अनेक प्रकार के धनों से युक्त, सन्तुष्ट, राज करने वाली एवं पतिप्रिया होती है।
22-श्रवण नक्षत्र में स्त्री का जन्म हो तो वह रूपवती, विदुषी, शास्त्रों की जानकार, दानी, सत्य बोलने वाली, परोपकारी एवं समाज में सम्मान पाने वाली होती है।
23-धनिष्ठा नक्षत्र में स्त्री का जन्म हो तो वह सदैव धार्मिक कार्यों में रत् व पूजापाठ करने वाली, वेद व पुराण पढ़ने वाली, धन, वस्त्र व अन्न से युक्त, दानी, दया करनेवाली, अधिक पुण्य करने वाली, अच्छे गुणों से युक्त होती है।
24-शतभिषा नक्षत्र में स्त्री का जन्म हो तो वह सुन्दर, दानी, दूजों के अनुकूल रहने वाली, सर्वप्रिय, समाज में सम्मानीया, सबका सम्मान करने वाली, व्यवहार कुशल व सबका हित करने वाली होती है।
25-पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में स्त्री का जन्म हो तो वह धनी, सब सुखों से युक्त, दानी, पुत्र की इच्छा रखने वाली, सुसंगति करने वाली, विद्या से युक्त एवं धनियों में प्रधान होती है।
26-उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में स्त्री का जन्म हो तो वह सदैव पति के हित में अनुरक्त, क्षमाशीला, बड़ों का आदर करने वाली, गर्वहीन, पुत्र सुख से युक्त, विचारशील, विदुषी, सत्यपरायणा होती है।
27-रेवती नक्षत्र में स्त्री का जन्म हो तो वह समाज में पूजनीय व यशस्वी, धार्मिक, अनेक रोगों से युक्त, स्वभाव से शुद्ध, व्रत व उपासना करने वाली, नौकर चाकरों से युक्त, शत्रुओं से हीन, सुन्दर एवं दर्शनीय होती है।
स्त्री डिम्भ चक्रम् विचार
स्त्री डिम्भ विचार से शुभाशुभ का ज्ञान होता है। इसके लिए सूर्य के नक्षत्र से
तीन नक्षत्र सिर में कल्पना करें।
सात नक्षत्र मुख में कल्पना करें।
चार-चार नक्षत्र स्तनों में कल्पना करें।
तीन नक्षत्र हृदय में कल्पना करें।
तीन नक्षत्र नाभि में कल्पना करें।
तीन नक्षत्र गुह्य स्थान में कल्पना करें।
जब विचार करें तब देखें कि कन्या का जन्म नक्षत्र किस स्थान पर पड़ता है, उसके अनुसार फल का विचार करें।
फल इस प्रकार समझना चाहिए-
सिर में जन्म नक्षत्र हो तो-संताप होता है।
मुख में जन्म नक्षत्र हो तो-सुख व स्वादिष्ट भोजन मिलता है।
स्तनों में जन्म नक्षत्र हो तो-मनोनुकूल सुख व प्रेम मिले।
हृदय में जन्म नक्षत्र हो तो-हर्ष होता है।
नाभि में जन्म नक्षत्र हो तो-पति-चिन्ता व आनन्द होता है।
गुह्य में जन्म नक्षत्र हो तो-अति कामेच्छा होती है।
इस प्रकार आप नक्षत्र से विचार कर सकते हैं।
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