कभी-कभी सबकुछ ठीक होते हुए भी सभी प्रयास कर लेने के बाद भी परस्पर सम्बन्ध नहीं सुधरते हैं। परस्पर एक तनाव सा बना रहता है जिससे पारिवारिक जीवन में गृहक्लेश आ जाता है। जीवन बोझ सदृश लगने लगता है। यदि आप भी इस समस्या से ग्रस्त हैं तो इस मन्त्र का जाप नियमानुसार करना चाहिए।
मन्त्र इस प्रकार है-
देव देव गणाध्यक्ष सुरासुर नमस्कृत। अमुक मम आयत्तं यावत् जींव कुरु प्रभो
इस मन्त्र का जाप प्रतिदिन गणेश जी के समक्ष एक माला करना है। अमुक के स्थान पर उस व्यक्ति का नाम लेना चाहिए जिससे सम्बन्ध खराब हैं।
इसे पुष्य नक्षत्र, अमावस्या, गणेश चतुर्थी या ग्रहण काल में प्रारम्भ करना चाहिए।
कम से कम एक माला प्रतिदिन अवश्य करनी है और बिना नागा करनी है।
इस प्रयोग से आप भी लाभ उठाएं और दूजों को भी बताकर लाभ पहुंचाएं। बिना शंका के इस प्रयोग को मन से करने से शीघ्र लाभ होता है।
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