हाथ के मूल भाग में कलाई के ऊपरी भाग में मणिबन्ध होता है, यह कई रेखाओं की सहायता से घुमावदार रेखा होती है। यह वलयाकार होता है। मणिबन्ध में तीन बल होने से लम्बी आयु का पता चलता है। एक बल 30वर्ष का माना जाता है। पहले से स्वास्थ्य, दूसरे से धन और तीसरे से पुत्र व स्वभाव का ज्ञान होता है। तीन से अधिक रेखायें होने से शुभ नहीं माना जाता है।
मणिबन्ध में अनेक खण्ड होने से व्यक्ति कंजूस होता है तथा समाज में सामान्य श्रेणी की स्थिति होती है।
तीन पर्व एक समान हों तो आयु 85वर्ष मानी जाती है। किसी मण्बिन्ध पर कोई अन्य रेखा आकर कोण बनाए तो परिवार के किसी सम्बन्धी की मृत्यु पर उसका यश बढ़ता है। वृद्धावस्था अच्छी व्यतीत होती है।
मणिबन्ध एक रेखा की हो तो अल्पायु समझना चाहिए। दो मणिबन्ध रेखाएं हों तो लगभग साठ वर्ष होती है पर स्वास्थ्य खराब रहता है।
मणिबन्ध की प्रथम रेखा वलयकार हो और उसमें छोटे-छोटे द्वीप हों तो व्यक्ति अपने पराक्रम से सफल होता है।
तीन रेखाओं का मणिबन्ध हो तथा उसमें त्रिभुज हो तो वृद्धावस्था में परायी सम्पत्ति या धन मिलता है।
पहला मणिबन्ध हथेली में ऊपर की ओर धनुषाकृति हो जाय तो संतान प्रतिबन्धक योग बनता है।
मणिबन्ध रेखा जंजीरनुमा होने से व्यक्ति मेहनती होता है।
मणिबन्ध से कोई रेखा चन्द्र पर्वत की ओर जाये तो व्यक्ति नौसेना या हवाई सेना में जाने का इच्छुक होता है।
मणिबन्ध रक्त वर्ण की हो तथा जंजीरनुमा होने से व्यक्ति वाचाल होता है तथा आर्थिक हानि होती है।
तीन मणिबन्ध रेखाएं स्वास्थ्य, सम्पत्ति एवं सुख की प्रतीक हैं।
तीन मणिबन्ध को काटने वाली रेखा अनामिका तक जाए तो व्यक्ति निश्चित उद्धेश्य को पूर्ण करने के लिए प्रभावशाली व्यक्ति की सहायत लेता है और उसे पूर्ण करने में जीजान एक कर देता है। यदि रेखा गुरुपर्वत तक जाए तो व्यक्ति किसी प्रभावकारी व्यक्ति के सहयोग से उन्नति करता है। यदि बुध पर्वत तक जाए तो व्यक्ति लेखन से धन और यश कमाता है और वृद्धावस्था अच्छी बीतती है।
मणिबन्ध अधूरी हो तथा कुछ रेखायें टूटकर शुक्र पर्वत पर जायें तो आजीविका में कुछ कठिनाई होती है।
दो मणिबन्ध चौड़े और मोटे हों तो व्यक्ति को परिवार की चिंता रहती है तथा स्थान बदलने से पैसा कमा सकता है। ऐसे व्यक्ति अच्छी आय करते हैं पर स्वयं के पास कुछ नहीं होता।
तीन मणिबन्ध कहीं से भी टूटे हुए न हों तो व्यक्ति किसी तकनीकी ज्ञान में दक्ष होता है। इनमें कुछ जल्दबाजी एवं दूसरे की भलाई की भावना होती है।
मणिबन्ध से आयु रेखा को काटने वाली रेखा जन्म स्थान से दूर मृत्यु कराती है।
मणिबन्ध की कोई रेखा बुध पर्वत तक जाने से अनायास धन प्राप्ति होती है।
मणिबन्ध से निकल कर कोई रेखा सूर्य स्थान तक जाने से व्यक्ति को दूसरे की मदद से लक्ष्मी प्राप्त होती है तथा सुखी रहता है।
खुरदरे हाथों में दो मणिबन्ध रेखाएं अच्छी शिक्षा का संकेत नहीं देती हैं और उस व्यक्ति में जिज्ञासा अधिक नहीं होती है।
दो मणिबन्ध चौड़े और मोटे हों तो व्यक्ति को परिवार की चिन्ता रहती है। वह स्थान परिवर्तन के उपरान्त ही पैसा कमाता है। वह अच्छी आय करेगा परन्तु उसके अपने पास कुछ नहीं रहेगा।
तीन मणिबन्ध कहीं से टूटे हुए न हों तो व्यक्ति किसी तकनीकी ज्ञान में कुशल होता है और दूसरे की सहायता करने वाला होता है।
जब मणिबन्ध में यव न हो और जंजीरनुमा न हो और टूटी हुई भी न हो एवं एक काली रेखा में हो तो व्यक्ति को आजीविका के लिए कई स्थान बदलने पड़ते हैं और अत्यधिक संघर्ष करना पड़ता है। चार मणिबन्ध उचित नहीं होते हैं।
यदि मणिबन्ध रेखा अर्द्धवर्तुलाकार और कहीं आड़ी गई होती है तो प्रत्येक का फल भिन्न होता है।
मणिबन्ध रेखा का अध्ययन करके भविष्य का ज्ञान प्राप्त करने में सहायक है। इसे आप प्रयोग में लाकर इससे भविष्य ज्ञान में प्रवीण हो सकते हैं।
बहुत अच्छी जानकारी, धन्यवाद।
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